गुरुवार, 28 नवंबर 2024
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क्या इत्तेफाक का राज, राज रह पाएगा?

क्या इत्तेफाक का राज, राज रह पाएगा? - Ittefaq, SayNoToSpoilers, Thriller Movie, Samay Tamrakar
तीन नवंबर को रिलीज होने वाली 'इत्तेफाक' एक थ्रिलर मूवी है। फिल्म में हत्या हुई है और यह किसने की है इसका राज फिल्म के आखिरी चंद मिनटों में खुलता है। इस तरह की रहस्यमयी और रोमांचक फिल्म का मजा तब खराब हो जाता है जब पहले से ही पता चल जाए कि हत्यारा कौन है? 
 
यदि आपको यह बात पता नहीं है तो फिल्म देखते समय आप भी अपना दिमाग दौड़ाते हैं और कोशिश करते हैं कि आप अपने तर्कों के जरिये पहले ही पता कर ले कि खून किसने किया है। आपके किसी दोस्त ने फिल्म देखने के पहले यह राज आपको बता दिया तो मजा किरकिरा हो सकता है। फिल्म देखने के पहले ही रहस्य से परदा उठ जाए तो कई लोग फिल्म देखने का इरादा ही त्याग देते हैं। 
 
आज के दौर में कोई भी बात छिपी नहीं हुई है। आप जो सूचना या जानकारी नहीं भी जानना चाहते हैं वो टीवी या इंटरनेट के माध्यम से आप की आंखों के सामने आ जाती है। ऐसे दौर में किसी फिल्म के रहस्य के बारे में पहले से ही पता चल जाना बहुत ही सरल है। 
 
इत्तेफाक के मेकर्स इसीलिए सोशल मीडिया पर #NoSpoilers और #SayNoToSpoilers जैसी मुहिम चला रहे हैं। वे विनती कर रहे हैं कि प्लीज आप राज को राज ही रहने दें। किसी को बताए नहीं। आप उसका मजा किरकिरा कर सकते हैं। 
 
लेकिन कुछ लोग तो इसे चुनौती मान लेते हैं और वे निश्चित रूप से रहस्य को पहले खोलने की ‍कोशिश कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह बात पहुंचाएंगे। इसलिए इस तरह की फिल्म बनाना अब ज्यादा जोखिम भरा हो गया है। 
 
ऐसा नहीं है कि फिल्म के अंत को पहले से ही बता देने का चलन अभी शुरू हुआ है, पहले भी कई बार ऐसा हुआ है, लेकिन तब सूचना तंत्र इतना मजबूत नहीं था। ऐसी रहस्यमयी फिल्मों के अंत में लिखा हुआ आता था कि कृपया फिल्म का अंत किसी को नही बताए, लेकिन सुनने वाले कहां सुनते हैं। 
 
‍वे फिल्म देखकर बाहर निकलते और इसी फिल्म को देखने सिनेमाघर के अंदर जा रहे लोगों को जोर से बोल कर बता देते कि खून किसने किया है। इससे कई लोगों का मजा खराब हो जाता था। कई बार आपके दोस्त ही बता देते हैं कि तू फिल्म देखने जा रहा है तो बता दूं कि इसमें अंत में हत्यारा कौन निकलेगा 
 
ऐसा भी होता है कि आप कानों को बंद रख कर किसी तरह सिनेमाहॉल पहुंच कर चैन की सांस लेते कि अब कोई भी भेद नहीं खोल पाएगा, लेकिन तब गुस्से से भर जाते जब आपके आगे-पीछे या दाएं-बाएं बैठे दर्शकों में से कोई एक यह बता देता कि हत्यारा तो ये है। वो दोबारा फिल्म देखने आया हुआ है या उसे पता चल गया है और वह अब दूसरों के मनोरंजन में व्यवधान डालने की कोशिश करता है। 
 
अब तो चारों ओर से जानकारियों की बौछारें आ रही हैं और इत्तेफाक के राज को राज रहने में बहुत मुश्किल आएगी। यदि इस तरह की फिल्म देखने का मन हो तो राज आप तक पहुंचे उसके पहले ही फिल्म को देख लेना चाहिए।