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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020 (10:00 IST)

Special Story:लालू बिन सूना लागे बिहार चुनाव,लोगों के साथ विरोधियों को भी खूब याद आ रहे लालू

लालू यादव के चुटीले भाषणों को लोग कर रहे मिस

Special Story:लालू बिन सूना लागे बिहार चुनाव,लोगों के साथ विरोधियों को भी खूब याद आ रहे लालू - People missing Lalu Yadav's speeches in Bihar assembly elections
बिहार विधानसभा का चुनाव प्रचार अब पूरे उफान पर पहुंच रहा है। सभी दलों के बड़े नेता चुनावी मैदान में आ धमके है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शुक्रवार को बिहार में अपनी पहली चुनावी रैली करने के लिए पहुंच रहे है। इन सबके बीच अगर बिहार चुनाव में कुछ सूना-सूना लग रहा हैं तो वह है चुनावी मंचों पर लालू यादव का ठेठ बिहारी अंदाज में होने वाला चुनावी भाषण।  
 
साठ के दशक से ही बिहार की राजनीति में सक्रिय लालू यादव की आवाज पहली बार चुनावी सभाओं में नहीं गूंज रही है। 1984 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ने वाले लालू पहली बार बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार से दूर है। ऐसे मे चुनावी रैली में आ रहे लोग लालू यादव को मिस कर रहे है। ठेठ गंवई अंदाज में लालू का चुनावी रैलियों में अपने विरोधियों पर हमला करने का चुटीला अंदाज भी लोग खूब मिस  कर रहे है। 

छात्र जीवन से ही बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे लालू यादव आज भी लाखों बिहारियों के दिलों में बसते है। लालू के बेटे और बिहार में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव कहते हैं इस बार चुनावी सभा में लोग लालू जी को मिस कर रहे है। चुनाव में लालू की कमी को पूरा करने के लिए आरजेडी के उम्मीदवार लालू यादव के फोटो,बैनर और पोस्टर का सहारा ले रहे है।
 
लालू ही वह शख्स हैं जिन्होंने अपने दम पर 2014 में मोदी और शाह की अगुवाई में भाजपा के अश्वमेघी चुनावी घोड़े को 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नाथ (रोक) दिया था। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव ने पीएम मोदी की जिस अंदाज में मिमिक्री कर उन पर हमला बोला था उसको आज भी लोग भूल नहीं पाए है। लालू ने बिहार को पीएम मोदी के सवा लाख करोड़ के पैकेज पर तंज कसते हुए कहा था कि मोदी जी,इस अंदाज में मत बोलिए वरना गर्दन की नस खींच जाएगी। लालू ही वह शख्स है जिन्होंने भाजपा को ‘भारत जलाओ पार्टी’ की संज्ञा दी थी।
 
2015 के विधानसभा चुनाव में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले लालू ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान को अपनी चुनावी सभा में ऐसा रगड़ा था कि भाजपा का मोदी-शाह की जोड़ी के सहारे बिहार जीतने की सपना धरा का धरा रह गया था। पिछले चुनाव में ‘महागठबंधन’ की तरफ से सबसे बड़े स्टार कैंपेनर रहे लालू यादव ने करीब 250 से अधिक चुनावी रैलियां और सभा करके नीतीश-लालू गठबंधन सरकार की पटकथा लिख डाली थी।  

लालू की राजनीति का ठेठ बिहारी अंदाज-आज जब बिहार विधानसभा चुनाव में हर पार्टी के चुनावी कैंपेन में बिहार और बिहारी की बता हो रही हो लालू की कमी लोगों को चुनावी मंच पर खल रही है। दरअसल लालू ने अपने अंदर बिहारी किस्म के गुणों को जमकर विकसित किया था। लालू अच्छी तरह जानते थे कि बिहार के लोगों में स्वाभिमान, आत्म सम्मान और अहं का भाव अपने राज्य और अपने लिए देश के अन्य राज्यों के लोगों से अधिक गहराई से बैठा हुआ है। 
 
1977 में लालू यादव जब पहली बार छपरा से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे तब मशूहर पत्रकार कुलदीप नैयर ने कहा था कि "लालू यादव के उदय से पांखडियों व सामतों की हवेलियों में दरारें आने लगी है,जन संस्कृति की सोई हुई चेतना वापस हो रही है"।  

इसके बाद लालू यादव ने जब पहली बार 1984 का विधानसभा चुनाव लड़ा तो दावा कि पाटिलपुत्र में चंद्रगुप्त की तरह उभरूंगा और आगे चलकर 10 मार्च 1990 को लालू ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर इसको साबित भी कर दिया था। लालू के भाषण की तारीफ करते हुए अमेरिकी टाइम्स ने लिखा था कि लालू ने भाषा को आम आदमी के भीतर से निकाला है। 

सोशल मीडिया पर हमलावर लालू-चारा घोटाले से जुड़े मामलों में सजा काट रहे लालू यादव भले ही चुनावी मैदान से दूर हो लेकिन अब सोशल मीडिया के जरिए सीधे नीतीश और मोदी को चुनौती दे रहे है। लालू ने अपने ट्वीट में नीतीश कुमार को थका हुआ नेता बताते हुए उनको आराम करने की सलाह दे डाली। 

2020 में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में जब चारों बिहारी अस्मिता और बिहार को बदलने की बात हो रही है तो लालू भी चर्चा के केंद्र में बने हुए है।1984 में पहला विधानसभा चुनाव जीतने वाले लालू चारा घोटाले में सजा पाने के चलते पहली बार चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे है। 
 
चुनाव में विरोधी भी कर रहे मिस-ऐसा नहीं कि लालू की कमी को लोग ही महसूस कर रहे है,बिहार चुनाव में लालू यादव की कमी उनके विरोधी भी महसूस कर रहे है। बुधवार को जब नीतीश लालू के समधी चंद्रिका राय के लिए वोट मांगने पहुंचने तो वह भीड़ ने लालू-लालू के नारे लगाए जिसके बाद नीतीश लालू पर ही हमलावर होकर बोल बैठे की भले ही वोट नहीं दीजिएगा लेकिन चुप रहिएगा।
 
ऐसे में जब इस बार चुनाव प्रचार आजरेडी के बैनर और पोस्टर पर सिर्फ तेजस्वी यादव की तस्वीर ही है तो विरोधी दल के नेताओं को भी आरजेडी पर हमला करने का मौका नहीं मिल पा रहा है। आज भी विरोधी दल का हर नेता अपने भाषण में लालू का जिक्र कर महागठबंधन हमला करने की कोशिश कर रहा है।