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Last Modified: रविवार, 25 फ़रवरी 2018 (11:59 IST)

आखिर छरहरी काया वाली श्रीदेवी की मौत कैसे हुई?

आखिर छरहरी काया वाली श्रीदेवी की मौत कैसे हुई? - Sridevi death
शनिवार देर रात जब भारत सो रहा था तो दुबई से आने वाली एक बुरी खबर ने सभी को हैरानी में डाल दिया। खबर इतनी भयानक थी कि काफी देर तक इस पर यकीन नहीं हुआ और ज्यादातर लोग इसे अफवाह बताते रहे या अफवाह होने की दुआ करने लगे। लेकिन कुछ ही देर में बुरी खबर की पुष्टि हो गई। 54 साल की उम्र में श्रीदेवी दुनिया को अलविदा कह गईं।
 
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक वो दुबई में एक शादी में शिरकत कर रही थीं और वहीं उन्हें भीषण कार्डियक अरेस्ट हुआ।
 
दुबली-पतली श्रीदेवी को देखकर ये कहना काफी मुश्किल है कि फिटनेस को लेकर सजग रहने वाली सेलिब्रिटी अचानक एक दिन ऐसी बीमारी के कारण बहुत दूर चली जाएंगी। 
 
क्या होता है कार्डिएक अरेस्ट? : लेकिन कार्डिएक अरेस्ट होता क्या है, ये इंसानी शरीर के लिए इतना ख़तरनाक क्यों साबित होता है और ये हार्ट फेल होने या दिल का दौरा पड़ने से कैसे अलग है? श्रीदेवी के निधन की ख़बरों में अचानक और आकस्मिक बार-बार पढ़ने को मिलेगा और इसकी वजह भी वाजिब है।
 
हार्ट.ओआरजी के मुताबिक दरअसल, कार्डिएक अरेस्ट अचानक होता है और शरीर की तरफ़ से कोई चेतावनी भी नहीं मिलती। इसकी वजह आम तौर पर दिल में होने वाली इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है, जो धड़कन का तालमेल बिगाड़ देती है।
 
इससे दिल की पम्प करने की क्षमता पर असर होता है और वो दिमाग, दिल या शरीर के दूसरे हिस्सों तक खून पहुंचाने में कामयाब नहीं रहता। इसमें चंद पलों के भीतर इंसान बेहोश हो जाता है और नब्ज भी जाती रहती है। अगर सही वक़्त पर सही इलाज न मिले तो कार्डिएक अरेस्ट के कुछ सेकेंड या मिनटों में मौत हो सकती है।
 
कार्डिएक अरेस्ट में मौत तय? : अमेरिका में प्रैक्टिस कर रहे सीनियर डॉक्टर सौरभ बंसल ने बताया, 'ये काफ़ी दुखद है। किसी ने भी इसकी कल्पना नहीं की होगी।'
 
'दरअसल, कार्डिएक अरेस्ट हर मौत का अंतिम बिंदु कहा जा सकता है। इसका मतलब है दिल की धड़कन बंद हो जाना और यही मौत का कारण है।'
 
लेकिन इसकी वजह क्या होती है? : डॉक्टर बंसल बताते हैं, 'इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं। आम तौर पर इसकी वजह दिल का बड़ा दौरा पड़ना हो सकता है।'
 
'हालांकि बात ये भी है कि 54 साल की उम्र में आम तौर पर जानलेवा दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा कम रहता है।' उन्हें दूसरी मेडिकल दिक्कतें पहले से भी रही हो सकती हैं, लेकिन ज़ाहिर है इसके बारे में हम लोग नहीं जानते।
 
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार दिल में इलेक्ट्रिकल सिग्नल की दिक्कतें शरीर में जब रक्त नहीं पहुंचाती तो वो कार्डिएक अरेस्ट की शक्ल ले लेता है। जब इंसान का शरीर रक्त को पम्प करना बंद कर देता है तो दिमाग़ में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसा होने पर इंसान बेहोश हो जाता है और सांस आना बंद होने लगता है।
 
क्या कोई लक्षण दिखते हैं? : सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि कार्डिएक अरेस्ट आने से पहले इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। यही वजह है कि कार्डिएक अरेस्ट की सूरत में मौत होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसकी सबसे आम वजह असाधारण हार्ट रिदम बताई जाती है जिसे विज्ञान की भाषा में वेंट्रिकुलर फ़िब्रिलेशन कहा जाता है।
 
दिल की इलेक्ट्रिकल गतिविधियां इतनी ज्यादा बिगड़ जाती हैं कि वो धड़कना बंद कर देता है और एक तरह से कांपने लगता है। कार्डिएक अरेस्ट की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन दिल से जुड़ी कुछ बीमारियां इसकी आशंका बढ़ा देती हैं। वो ये हैं:
 
- कोरोनरी हार्ट की बीमारी
 
- हार्ट अटैक
 
- कार्डियोमायोपैथी
 
- कॉनजेनिटल हार्ट की बीमारी
 
- हार्ट वाल्व में परेशानी
 
- हार्ट मसल में इनफ़्लेमेशन
 
- लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम जैसे डिसऑर्डर
 
इसके अलावा कुछ दूसरे कारण हैं, जो कार्डिएक अरेस्ट को बुलावा दे सकते हैं, जैसे:
 
- बिजली का झटका लगना
 
- जरूरत से ज़्यादा ड्रग्स लेना
 
- हैमरेज जिसमें खून का काफी नुकसान हो जाता है
 
- पानी में डूबना
 
लेकिन क्या कार्डिएक अरेस्ट से रिकवर किया जा सकता है? : जी हां, कई बार छाती के ज़रिए इलेक्ट्रिक शॉक देने से इससे रिकवर किया जा सकता है। इसके लिए डिफ़िब्रिलेटर नामक टूल इस्तेमाल होता है।
 
ये आम तौर पर सभी बड़े अस्पतालों में पाया जाता है। इसमें मुख्य मशीन और शॉक देने के बेस होते हैं, जिन्हें छाती से लगाकर अरेस्ट से बचाने की कोशिश होती है। लेकिन दिक्कत ये है कि अगर कार्डिएक अरेस्ट आने की सूरत में आसपास डिफ़िब्रिलेटर न हो तो क्या किया जाए?
 
जवाब है, CPR। इसका मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन। इसमें दोनों हाथों को सीधा रखते हुए मरीज की छाती पर जोर से दबाव दिया जाता है। इसमें मुंह के जरिए हवा भी पहुंचाई जाती है।
 
हार्ट अटैक से कैसे अलग?
ज़्यादातर लोग कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही मान लेते हैं। लेकिन ये सच नहीं है। दोनों में खासा फर्क है। हार्ट अटैक में तब आता है जब कोरोनरी आर्टिरी में थक्का जमने की वजह से दिल की मांसपेशियों तक ख़ून जाने के रास्ते में खलल पैदा हो जाए।
 
इसमें छाती में तेज दर्द होता है। हालांकि, कई बार लक्षण कमजोर होते हैं, लेकिन दिल को नुकसान पहुंचाने के लिए काफ़ी साबित होते हैं। इसमें दिल शरीर के बाकी हिस्सों में खून पहुंचाना जारी रखता है और मरीज़ होश में रह सकता है।
 
लेकिन जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है, उसे कार्डिएक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। और कार्डिएक अरेस्ट में दिल तुरंत आधार पर खून पहुंचाना बंद कर देता है। यही वजह है कि इसका शिकार होने पर व्यक्ति अचानक बेहोश होता है और सांस भी बंद हो जाती है।
 
वजह क्या हो सकती है? : डॉक्टर बंसल के मुताबिक, 'कार्डिएक अरेस्ट का मतलब है दिल की धड़कन का बंद होना। और हार्ट अटैक के मायने हैं दिल को पर्याप्त मात्रा में खून न मिलना।'
 
'हां, ये ज़रूर है कि ख़ून न मिलने की वजह से कार्डिएक अरेस्ट हो जाए। ऐसे में हार्ट अटैक इसकी कई वजहों में से एक है।'
 
'एक खून का थक्का कार्डिएक अरेस्ट की वजह बन सकता है। दिल के आसपास होने वाला फ़्लूइड इसका कारण बन सकता है।'
 
'दिल के भीतर किसी तरह के इंफ़ेक्शन से भी कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है। इसके अलावा भी कई वजह हो सकती हैं।'
 
'दुबई में डॉक्टरों ने इस बात का पता लगाया होगा या लगा रहे होंगे कि श्रीदेवी को कार्डिएक अरेस्ट क्यों हुआ। शायद उन्हें अब तक इसकी वजह पता भी चल गई हो।'
 
हार्ट अटैक में बचना आसान? : हार्ट अटैक में आर्टिरी का रास्ता रुकने से ऑक्सीजन वाला खून दिल के एक खास हिस्से तक नहीं पहुंचता। अगर इसका रास्ता तुरंत आधार पर नहीं खोला जाता तो उसके ज़रिए दिल के जिस हिस्से तक खून पहुंचता है, उसे काफी नुकसान होना शुरू हो जाता है।
 
हार्ट अटैक के मामले में इलाज मिलने में जितनी देर होगी, दिल और शरीर को उतना ज़्यादा नुकसान होता जाएगा। इसमें लक्षण तुरंत भी दिख सकते हैं और कुछ देर में भी। इसके अलावा हार्ट अटैक आने के कुछ घंटों या कुछ दिनों बाद तक इसका असर देखने को मिल सकता है। सडन कार्डिएक अरेस्ट से अलग हार्ट अटैक में दिल की धड़कन बंद नहीं होती।
 
इसलिए कार्डिएक अरेस्ट की तुलना हार्ट अटैक में मरीज को बचाए जाने की संभावना कहीं ज़्यादा होती हैं। दिल से जुड़ी ये दोनों बीमारियां आपस में गहरी जुड़ी हैं। दिक्कत ये भी है कि हार्ट अटैक के दौरान और उसकी रिकवरी के दौरान भी कार्डिएक अरेस्ट आ सकता है। ऐसा जरूरी नहीं कि हार्ट अटैक आने पर अरेस्ट हो ही जाए, लेकिन आशंका जरूर रहती है।
 
मौत की कितनी बड़ी वजह?
NCBI के मुताबिक कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां दुनिया में करीब 1.7 करोड़ सालाना मौत के लिए जिम्मेदार है। ये कुल मौतों का 30 फीसदी है।
 
विकासशील देशों की बात करें तो ये एचआईवी, मलेरिया और टीबी की संयुक्त मौतों से दोगुनी मौत के लिए जिम्मेदार है।
 
एक अनुमान के मुताबिक दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में सडन कार्डिएक अरेस्ट से होने वाली मौतों की हिस्सेदारी 40-50 फीसदी है। दुनिया भर में कार्डिएक अरेस्ट से बचने की दर एक फ़ीसदी से भी कम है और अमरीका में ये क़रीब 5 फ़ीसदी है।
 
दुनिया भर में कार्डिएक अरेस्ट से होने वाली मौत इस बात का संकेत है कि इसकी जानलेवा क्षमता से बचना आसान नहीं है। इसके लिए वैकल्पिक रणनीतियों पर भी काम किया जा रहा है।
 
कार्डिएक अरेस्ट से रिकवर करने में मदद करने वाले टूल आसानी से उपलब्ध नहीं हैं और विकासशील देशों में हालात और खराब हैं।
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