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Last Modified: शुक्रवार, 24 नवंबर 2017 (11:12 IST)

म्यांमार: रोहिंग्या मुसलमान की घर वापसी के लिए समझौता

म्यांमार: रोहिंग्या मुसलमान की घर वापसी के लिए समझौता | Rohingya Muslims
बांग्लादेश ने शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी के लिए म्यांमार से एक समझौते पर दस्तख़त किए हैं। हाल ही में रख़ाइन में सैनिक कार्रवाई के बाद लाखों रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर शरण के लिए बांग्लादेश आए थे।
 
फिलहाल इस समझौते के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया है। समझौते पर म्यांमार की राजधानी नेपीडो में अधिकारियों ने दस्तखत किए। बांग्लादेश ने इसे 'पहला कदम' बताया है और म्यांमार ने कहा है कि वो 'रोहिंग्या मुसलमानों को जितनी जल्दी मुमकिन हो सके कि वापस लेने के लिए तैयार' है।
 
बांग्लादेश में शरण
म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में सैनिक कार्रवाई के बाद से भाग कर आए लाखों रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं। अगस्त से म्यांमार के रख़ाइन प्रांत से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या क़रीब छह लाख है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने इसे जातीय नरसंहार कहा है। म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा पर नो मैंस लैंड में रहने वाले दिल मोहम्मद रोहिंग्या मुसलमानों के एक नेता हैं।
 
मोहम्मद का कहना है, "वे किसी न किसी दिन अपने घर लौटना चाहते हैं। हमारी ज़मीन म्यांमार में है, हम म्यांमार के नागरिक हैं। हम यहाँ अस्थायी रूप से रह रहे हैं ताकि हम अपनी जान म्यांमार की सेना, बॉर्डर गार्ड पुलिस फोर्स और स्थानीय बौद्ध भिक्षुकों से बचा सकें। ये लोग न सिर्फ़ हत्याएँ करते हैं, बल्कि हमें प्रताड़ित भी करते हैं। साथ ही हमारे घर जला दिए जाते हैं।"
 
जातीय नरसंहार
लेकिन मानवीय सहायता से जुड़े संगठनों ने बिना सुरक्षा की गारंटी दिए रोहिंग्या लोगों की जबरन वापसी को लेकर चिंता ज़ाहिर की है।

अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ म्यांमार की सेना की कार्रवाई को जातीय नरसंहार करार दिया है। हाल ही में अमेरिका के एक प्रतिनिधिमंडल ने म्यांमार और बांग्लादेश का दौरा किया था। सीनेटर जेफ़ मर्कले ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि वे रेक्स टिलरसन के आंकलन से सहमत हैं।
 
उन्होंने कहा, "हमने बांग्लादेश स्थित कई कैंपों का दौरा किया। वहाँ हमने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारी अधिकारियों से बात की। हमने सीधे शरणार्थियों से भी बात की। हमने उनकी कहानियाँ सुनीं, जिसमें उनके परिजनों और बच्चों को उनके सामने मार दिया गया। कई महिलाओं और उनकी लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। हमें जो जानकारी मिली है, उससे यही लगता है कि उत्तरी रख़ाइन में आठ में से सात रोंहिग्या परिवार पलायन कर चुके हैं। ये जातीय नरसंहार है।"
 
रोहिंग्या संकट
हालांकि बर्मा की सेना रोहिंग्या संकट के लिए जिम्मेदारी लेने से इनकार करती है। सेना रोहिंग्या लोगों की हत्या, उनके गांव जलाने, महिलाओं के बलात्कार और उनकी लूटपाट में अपना हाथ होने से इनकार करती है। लेकिन म्यांमार की सेना के इन दावों के उलट बीबीसी संवाददाताओं ने रोहिंग्या लोगों के साथ हुए अत्याचार के सबूत देखे।
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