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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 27 अक्टूबर 2021 (07:48 IST)

आर्यन ख़ान ड्रग्स मामले से जुड़े 5 अनसुलझे सवाल

आर्यन ख़ान ड्रग्स मामले से जुड़े 5 अनसुलझे सवाल - 5 unsolved questions in Aryan Khan drugs case
नामदेव काटकर और मयंक भागवत, बीबीसी मराठी
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 2 अक्टूबर को मुंबई में एक क्रूज़ जहाज पर चल रही कथित रेव पार्टी में छापेमारी की थी जिसके बाद ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर 8 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था।
 
इन आठ लोगों में अभिनेता शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान के अलावार अरबाज़ खान और मुनमुन धमीचा का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में आया। इस छापेमारी की अगुवाई एनसीबी की मुंबई डिवीज़न के डायरेक्टर समीर वानखेड़े की थी।
 
पिछले लगभग एक महीने से इस मामले में कई नई बातें सामने आई हैं। क्रूज़ पर हुई छापेमारी में एनीसीबी ने प्रभाकर साईल को गवाह बनाया था लेकिन अब उन्होंने समीर वानखेड़े पर फिरौती मांगने का आरोप लगाया है।
 
एनसीपी प्रवक्ता और महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक और शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस मामले में कुछ सवाल खड़े किए हैं।
 
उन्होंने मामले को फर्जी बताया और आरोप लगाया कि बॉलीवुड को निशाना बनाया जा रहा है और डराकर उगाही की जा रही है। हालांकि, समीर वानखेड़े ने इन आरोपों से इनकार किया है।
 
ऐसे में इस पूरे मामले में आर्यन ख़ान, कुछ अनजान नामों और समीर वानखेड़े को लेकर कुछ सवाल खड़े होते हैं जिनके जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं। हमने इन सवालों के अनसुलझने रहने की वजह तलाशने की कोशिश की।
 
आर्यन ख़ान ने ड्रग्स ली या नहीं?
आर्यन ख़ान को एडीपीसी क़ानून की धारा 8सी, 20बी और 35 के तहत गिरफ़्तार किया गया है। उन्हें चिकित्सकीय जांच के लिए भी ले जाया गया लेकिन उनके ख़ून, पेशाब और हेयर फॉलिकल्स के नमून नहीं लिए गए।
 
ड्रग्स से जुड़े मामलों में अभियुक्त के ख़ून और पेशाब के नमूने लेने के साथ-साथ हेयर फॉलिकल टेस्ट के ज़रिए बालों के नमूने से नशीली दवाओं के उपयोग या दुरुपयोग के प्रमाण का पता लगाया जाता है।
 
इस स्थिति में जानकारों का मानना है कि एनसीबी का पूरा मुक़दमा इस बात पर केंद्रित है कि आर्यन ख़ान ड्रग्स की तस्करी और साज़िश में शामिल थे और इन आरोपों की वजह से अदालत के लिए उन्हें ज़मानत पर रिहा करना आसान नहीं होगा।
 
वकील आशिमा मंडला कहती हैं कि ऐसा लग रहा है कि अभियोजन पक्ष के मामले में बहुत सारी खामियां हैं।
 
वे कहती हैं, "अभियुक्तों पर जो धाराएं लगाई गई हैं वो ड्रग्स के कब्ज़े और इस्तेमाल से संबंधित हैं। लेकिन अभियोजन पक्ष इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया है।"
 
मंडला कहती हैं कि पहले एनसीबी ने कहा कि आर्यन ख़ान के पास से ड्रग्स मिले और बाद में उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया। फिर यह कहा गया कि वे ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन इसे साबित करने के लिए उनके पास कोई चिकित्सीय प्रमाण नहीं है।
 
लेकिन, आखिर में सवाल वही है कि आर्यन ख़ान के ड्रग्स लेने की पुष्टि करने के लिए चिकित्सकीय जांच क्यों नहीं कराई गई।
 
आर्यन ख़ान की ज़मानत का मामला
मुंबई की विशेष अदालत ने 20 अक्टूबर को आर्यन ख़ान और दो अन्य अभियुक्तों की ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी। आर्यन ख़ान की ज़मानत ख़ारिज करने का कारण व्हाट्सएप चैट को बनाया गया है। इन चैट्स से पता चलता है कि आर्यन ख़ान ड्रग्स को लेकर अनजान लोगों के संपर्क में थे। तो क्या आर्यन ख़ान की ज़मानत याचिका केवल व्हाट्सएप चैट के आधार पर खारिज हो रही है?
 
द टाइम्स ऑफ इंडिया की 15 जुलाई की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक सुनवाई में कहा था कि व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मैसेज का कोई महत्व नहीं है।
 
इस रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर आजकल कुछ भी लिखा और डिलीट किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालत व्हाट्सएप मैसेज को महत्व नहीं देती है।
 
वकील आशिमा मंडल कहती हैं कि अगर एनसीबी के पास अभियुक्त के ख़िलाफ़ व्हाट्सएप चैट में सबूत हैं तो उन्हें पहचान छुपाकर कोर्ट में पेश करना चाहिए और आरोप स्पष्ट करने चाहिए।
 
किरण गोसावी कौन हैं
एनसीबी की छापेमारी के बाद एक शख़्स ने आर्यन ख़ान के साथ सेल्फी ली थी। ये सेल्फी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। तब ये सवाल उठा था कि ये सेल्फी किसने ली है।
 
एनसीबी अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंह ने उस समय बताया था कि एनसीबी के साथ उस समय नौ पंच थे जिनमें से एक किरण गोसावी भी थे।
बाद में किरण गोसावी के बारे में और जानकारी सामने आई और विवाद खड़ा हो गया।
 
किरण गोसावी के ख़िलाफ़ पुणे में 29 मई, 2018 को धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज किया गया था। पुणे पुलिस ने उस मामले में किरण गोसावी के ख़िलाफ़ एक चार्जशीट दाखिल की थी। मामला दर्ज होने के बाद से किरण गोसावी फ़रार हैं।
 
पुणे ज़ोन 1 की पुलिस उपायुक्त प्रियंका नरवाणे ने बीबीसी मराठी को बताया कि पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ एक लुक-आउट नोटिस जारी किया है।
 
बीबीसी ने प्रियंका नरवाणे से 25 अक्टूबर (सोमवार) को संपर्क किया था। तब उन्होंने बताया था, "किरण गोसावी ने अभी तक आत्मसमर्पण नहीं किया है। हम अलर्ट पर हैं। हम पुलिस स्टेशन और अदालत में भी अलर्ट पर हैं। उन्होंने कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों को इंटरव्यू दिया है। हम उनकी तलाश कर रहे हैं।"
 
प्रभाकर साईल ने एक वीडियो जारी कर समीर वानखेड़े पर फिरौती के आरोप लगाए हैं। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि वो किरण गोसावी के बॉडीगार्ड हैं। उन्होंने किरण गोसावी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।
 
यहां भी एक सवाल बना हुआ है कि किरण गोसावी आखिरकार कहां हैं? जब शुरुआत में उनका नाम इस मामले में सामने आया था तो उन्होंने कुछ मीडिया हाउस को प्रतिक्रिया दी थी। हालांकि, वे कहीं नज़र नहीं आए।
 
किरण गोसावी ने बीबीसी मराठी के मयंक भागवत और नीलेश धोत्रे से सोमवार को बात करते हुए प्रभाकर साईल के सभी आरोपों से इनकार किया है।
 
कौन हैं सैम डिसूजा और क्या है भूमिका
सैम डिसूजा का नाम आर्यन ख़ान मामले में बार-बार सामने आ रहा है। प्रभाकर साईल ने अपने वीडियो में सैम डिसूजा का नाम लिया है।
 
प्रभाकर साईल ने बताया था कि शाहरुख ख़ान की मैनेजर पूजा ददलानी जब किरण गोसावी से मिलने आई थीं तो सैम डिसूजा और पूजा एक ही कार में बैठे थे।
 
शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी सोमवार को अपने बयान में सैम डिसूजा का ज़िक्र किया था। उन्होंने कहा था, "सैम डिसूजा मुंबई और देश में मनी लॉन्ड्रिंग का बहुत बड़ा खिलाड़ी है। ये बहुत बड़ा खेल है जो बस अभी शुरू हुआ है। जो बातें सामने आई हैं वो हैरान करने वाली हैं। देशभक्ति की आड़ में कुछ लोग पैसों की उगाही कर रहे हैं, फर्जी मामले दर्ज कर रहे हैं।"
 
फिलहाल सवाल ये खड़ा होता है कि सैम डिसूजा असल में हैं कौन और उनकी इस मामले में क्या भूमिका है।
 
मुंद्रा बंदरगाह मामले में क्या कार्रवाई हुई
पिछले महीने गुजरात के कच्छ ज़िले में अदानी समूह के मुंद्रा बंदरगाह से तीन हज़ार किलो हेरोइन बरामद हुई थी। ये कार्रवाई 16 सितंबर, 2021 को राजस्व खुफिया निदेशालय ने की थी। मुंद्रा बंदरगाह पर मिली हेरोइन का वैश्विक बाज़ार मूल्य 21 हज़ार करोड़ रुपये है।
 
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि एनसीबी की क्रूज़ पर की गई छापेमारी मुंद्रा बंदरगाह मामले से ध्यान भटकाने के लिए की गई है।
 
इस दौरान, 6 अक्टूबर 2021 को गृह मंत्रालय की अनुमति से मुंद्रा बंदरगाह के मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया। इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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