नेहरू की वो तीन ग़लतियां जिन्होंने चीन से दिलाई हार
सुशोभित सक्तावत | बुधवार,नवंबर 14,2018
1947-48 में जब आज़ाद हिंदुस्तान का संविधान बनाया जा रहा था, तभी चीन में 1949 की क्रांति हो गई और हुक़ूमत को माओत्से ...
पद्मावती : एक "ज़ख़्मी सभ्यता" के मनोजगत में निहित अतीत के प्रेत
सुशोभित सक्तावत | मंगलवार,नवंबर 21,2017
अगर सिनेमा यक़ीन दिलाने की कला है तो परदे पर दिखाए जा रहे दृश्य के प्रति इस कलारूप का यह अलिखित आग्रह हमेशा रहता है कि ...
रूसी क्रांति के सौ साल : एक महास्वप्न का अंत
सुशोभित सक्तावत | गुरुवार,नवंबर 16,2017
उन्नीस सौ सत्रह में जब रूस में अक्तूबर क्रांति हुई, तब रूस एक सामंती मुल्क हुआ करता था, वो एक फ़्यूडल स्टेट था। ...
ठिठक गई ठुमरी की तान
सुशोभित सक्तावत | बुधवार,अक्टूबर 25,2017
ठुमरी का दूसरा नाम है "गिरिजा देवी" और गिरिजा देवी अपने पीछे एक ऐसा निर्वात छोड़ गई हैं, जिसे कभी पूरा नहीं जा सकेगा....
लता मंगेशकर : स्वर बेल थरथराई खिल गए फूल होंठों पर
सुशोभित सक्तावत | गुरुवार,सितम्बर 28,2017
कुमार गंधर्व ने एक लता-संस्मरण लिखा है।
बरसों पुरानी बात है। वे बीमार थे। वैसी ही दशा में उन्होंने रेडियो लगाया। ...
लता के स्वर की कोई संध्यावेला नहीं हो सकती
सुशोभित सक्तावत | मंगलवार,सितम्बर 26,2017
लता मंगेशकर को सुनकर उसी शुद्ध स्वर का विचार आता है। वे नादरूपा हैं। स्वर स्वरूपा हैं। लता को व्यक्ति की तरह नहीं, ...
राजदीप बनाम अर्नब के बरअक़्स सत्य बनाम छद्म
सुशोभित सक्तावत | शुक्रवार,सितम्बर 22,2017
पत्रकारिता चरित्र से ही "सत्यान्वेषी" होती है! सच की तलाश करती है। तर्कणा की सुविधा का तक़ाज़ा है कि "सत्य" और "तथ्य" ...
"दो क़दम और सही" : राहत इंदौरी की नुमाइंदा शायरी का ज़रूरी गुलदस्ता
सुशोभित सक्तावत | शुक्रवार,सितम्बर 15,2017
डॉ. राहत इंदौरी की नुमाइंदा शायरी के एक संकलन की ज़रूरत बहुत दिनों से अनुभव की जा रही थी। राहत की तीन उर्दू पुस्तकें और ...
विदावेला में विवेकानंद
सुशोभित सक्तावत | सोमवार,सितम्बर 11,2017
स्वामी विवेकानंद की संपूर्ण ग्रंथावली दस खंडों में प्रकाशित हुई है। इसमें पांचवें खंड से प्रारंभ करके नौवें खंड तक पांच ...
डिजिटल दौर में ई-पुस्तकों का नया चलन
सुशोभित सक्तावत | शनिवार,सितम्बर 9,2017
पहले जब युवा और उत्साही फ़िल्मकार या सिंगर, डांसर, मिमिक्री आर्टिस्ट आदि इंडस्ट्री में काम करना चाहते थे तो वे मुंबई ...