जीवन के रंगमंच से...
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
रिश्तों की जमीन पर जब भी कोई नया फूल खिलता है, उसकी सुगंध चारों ओर से हमें घेरे रहती है। मन की पतंग न जाने किस डोर से ...
जीवन के रंगमंच से...
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
आपने कभी जीवन को नृत्य करते देखा है? नहीं?? फिर वो क्या था, जो उसकी आँखों में आँसू बनकर छलक आया था, जब वह अकेली रसोई ...
मल्लिका
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
मल्लिका, जब भी यह नाम आता है सबके दिमाग में सिर्फ मल्लिका शेरावत का हॉट लुक आता है, लेकिन मुझसे कोई पूछे मल्लिका के ...
ट्रैफिक जाम
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
आपने कभी वह दृश्य देखा है जब किसी छोटी-सी लापरवाही के कारण रास्ते पर बड़ा-सा जाम लग जाता है? ऐसे में जो पतली-सी साइकिल ...
खोज या आविष्कार
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
मन भटकता है किसी की तलाश में, कुछ मुलाकातें होती हैं, कुछ पसंद उत्पन्न होती हैं, फिर अपेक्षाएँ, कुछ सीमाएँ, कुछ असीमित ...
प्रेमग्रंथ
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
प्रेम
समन्दर के किनारे बरसों से खड़ी चट्टानों जैसा, जिसे कोई टस से मस नहीं कर पाता, लेकिन समय की लहरों के थपेड़ों को ...
काश कोई रिश्ता ऐसा हो...
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
मैं अपने ‘मैं’ में संकुचित ना रह जाऊँ
प्रेम पत्र
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
मुझे याद नहीं कि मुझे कभी यह कहने की जरुरत पड़ी हो कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। इसलिए शायद जब भी तुमने कुछ पूछा, ...
खाली रातें
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
रात तेरी याद का चाँद खिला
चाँदनी को आँगन में फैला आई हूँ
जैसे तन के जंगलों से गुजरकर
मन के घर रहने आई हूँ
तुम्हारे सिवा
शैफाली शर्मा | सोमवार,नवंबर 3,2014
आकर्षण की सीमा के परे
जब मैं तुम्हें सोचती हूँ
तो तुम मुझे दिखाई देते हो
मेरी रात के चन्द्रमा की तरह
जो मेरे ...