उज्जैन का प्रसिद्ध हरसिद्धि मंदिर जहां राजा विक्रमादित्य ने 11 बार दी थी अपने सिर की बलि
राजशेखर व्यास | बुधवार,अक्टूबर 14,2020
देवीजी सम्राट विक्रमादित्य की आराध्या रही हैं। इस स्थान पर विक्रम ने अनेक वर्षपर्यंत तप किया है।
भगत सिंह जयंती : खुश रहो अहले वतन....
राजशेखर व्यास | सोमवार,सितम्बर 28,2020
कई बार सोचा करता हूं क्या वे उनके विचारों को भी जला या बहा पाए? नहीं। उनके विचार आज भी दिल और दिमागों में आग लगाया करते ...
भगत सिंह दिवस पर पढ़ें मार्मिक प्रसंग : भगतसिंह और 'भाग्य'!
राजशेखर व्यास | शुक्रवार,मार्च 22,2019
आमतौर पर भगतसिंह के बारे में यह एक निर्भ्रांत तथ्य है कि वे एक घोषित नास्तिक थे, फिर भला 'भाग्य' से उनका क्या वास्ता हो ...
स्मृति शेष : भीतर से छोटे बच्चे की तरह थे नामवर सिंह जी
राजशेखर व्यास | गुरुवार,फ़रवरी 21,2019
नामवर सिंह जी का जाना हिन्दी की आलोचना परम्परा के बहुत बड़े स्तम्भ का ढह जाना है।
मदिरापान करती हैं काल भैरव प्रतिमा लेकिन कैसे यह कोई नहीं जानता...
राजशेखर व्यास | बुधवार,नवंबर 28,2018
शिप्रा के उत्तर तट पर 'कालभैरव' का सुविशाल मंदिर है। मंदिर के पास नीचे शिप्रा नदी का घाट बहुत बड़ा और सुंदर पुख्ता बना ...
क्रांतिकारी, कर्मयोगी और कलाप्रेमी हैं श्रीकृष्ण, हर रूप में करते हैं आकृष्ट
राजशेखर व्यास | रविवार,सितम्बर 2,2018
उसने जो किया खुलकर किया, जमकर किया,लगकर किया। कृष्ण पूर्णपुरूष हैं, मर्द हैं-नायक हैं, योगी भी,भोगी भी। जो करते हैं ...
अटल थे, अटल हैं, अटल रहेंगे : अविस्मरणीय संस्मरण
राजशेखर व्यास | गुरुवार,अगस्त 16,2018
मैं अटल तो हूं पर 'बिहारी' नहीं हूं। तब लोगों ने इसे अजीब ढंग से लिया था। लोगों को लगा कि वे 'बिहार' का अपमान कर रहे ...
कई रहस्य बयां करती है राजा भर्तृहरि की गुफा
राजशेखर व्यास | शुक्रवार,जुलाई 6,2018
श्री भर्तृहरि की गुफा बड़ा शांत और रम्य स्थल है। समाधि स्थल के पश्चात अंदर जाकर एक संकुचित द्वार से जीने के द्वार गुहा ...
श्री हरसिद्धि देवी : जहां 11 बार शीश काट कर चढ़ाए थे राजा विक्रम ने
राजशेखर व्यास | शुक्रवार,सितम्बर 22,2017
शिवपुराण के अनुसार यहां हरसिद्धि देवी की प्रतिमा नहीं है। सती के शरीर का अंश अर्थात हाथ की कोहनी मात्र है, जो शिवजी ...
क्या गृह-कलह से परेशान थे श्रीकृष्ण-बलराम भी.....
राजशेखर व्यास | शुक्रवार,अप्रैल 28,2017
बलराम श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ बंधु थे, और सहपाठी भी थे। यज्ञोपवीत हो जाने के पश्चात् श्रीकृष्ण और बलराम दोनों ही उज्जैन ...