मणिपुर घटना पर कविता : रहोगे तो तुम वहशी दरिंदे
निधि सक्सेना | गुरुवार,जुलाई 20,2023
चाहे तुम चांद पर पहुंच जाओ
या छू लो सूरज
चाहे कविताएं लिख लो
या स्वयं को विद्वान कह लो
रहोगे तो तुम
वहशी दरिंदे
क्षमा बिंदु की शादी : खुद से प्यार करने वाले बिरले ही होते हैं
निधि सक्सेना | गुरुवार,जून 9,2022
परन्तु अभी तो बातें मुहब्बत की हों
मुझे यकीन है क्षमा अपने साथ बढ़िया संबंध बना कर रहेगीं
अपनी उम्मीदों पर खरी ...
हिजाब मामला : बात इतनी बड़ी थी ही नहीं...
निधि सक्सेना | गुरुवार,फ़रवरी 10,2022
बात इतनी बड़ी थी ही नहीं जितनी बड़ी बना दी गई...आप कुछ भी पहनिए किसी ने कभी रोका है क्या ..बुरखा पहनिए, हिजाब पहनिए, ...
हिन्दी कविता : प्रेम के बेल बूटे सजाया करूंगी...
निधि सक्सेना | शुक्रवार,जनवरी 7,2022
तुम ने मुस्कुरा कर कहा
इस घर और मुझ पर अब तुम्हारा पूर्ण अधिकार है
मैं अपना सर्वस्व सदा के लिए तुम्हें सौंप रहा ...
आज पुरखों की विदाई का दिन है..
निधि सक्सेना | बुधवार,अक्टूबर 6,2021
पंद्रह दिन के आतिथ्य के पश्चात
आज पुरखों की विदाई का दिन है..
कि वे इन पंद्रह दिनों हमारे संग रहे
ये बात ही कितनी ...
मन के चाचर चौक में : गुजरात में बगैर गरबे की नवरात्रि
निधि सक्सेना | सोमवार,अक्टूबर 19,2020
गुजरात में बगैर गरबे की नवरात्रि न कभी देखी न सुनी..इस वर्ष माँ चाचर चौक में नही पधारी..शहर सूना.. गरबा ग्राउंड ...
कविता : अभी बहुत छोटी हूं मां
निधि सक्सेना | सोमवार,मई 29,2017
मैं अभी बहुत छोटी हूं मां
अभी से न अस्तित्व पे चुनरी ओढ़ाओ
अभी उड़ने दो मुक्त
खोलो ये केश
बुद्ध को दो शब्द : सुनो सिद्धार्थ
निधि सक्सेना | शुक्रवार,मई 26,2017
सुनो सिद्धार्थ... धरा साक्षी है, तुम्हारे जाने के बाद, मैं भी कुशा पर ही सोई, त्यागा हर ऐश्वर्य
लोकप्रिय हिन्दी कविता : आ गए तुम
निधि सक्सेना | सोमवार,दिसंबर 5,2016
आ गए तुम
द्वार खुला है
अंदर आ जाओ..
पर तनिक ठहरो
देहरी पर पड़े पायदान पर
अपना अहंकार झाड़ आना..
हिन्दी कविता : सूर्य की प्रथम रश्मि
निधि सक्सेना | सोमवार,दिसंबर 5,2016
सूर्य की प्रथम रश्मि
देर तक रही उनींदी
बलपूर्वक जागी
भरी अंगड़ाई
अधमुंदे नैनों से सूर्य को देख
लजाई
नेह से ...