मां के लिए कविता : जब वो आंचल में छुपाती है...
जयति जैन 'नूतन' | शनिवार,मई 12,2018
हर दर्द की दवा होती है जब कोई नहीं होता तब हमदर्द होती है। मेरी नींदों में स्वप्न की तरह। मेरी खुशियों में दुआओं की तरह
मातृ दिवस कविता : उसका ही अंश हूं मैं
जयति जैन 'नूतन' | शनिवार,मई 12,2018
उसकी ही पहचान हूं वो जिसने मुझे नकारा नहीं वो जिसने मुझे अपनाया है वो औरत है एक मां मेरी मां!
मदर्स डे पर कविता : वह एक मां है...
जयति जैन 'नूतन' | शुक्रवार,मई 11,2018
उलझे हुए से फिरते हैं नादिम सा एहसास लिए दस्तबस्ता शहर में वो नूर है अंधेरे गुलिस्तां में।
कविता : पेड़ एक मंदिर
जयति जैन 'नूतन' | बुधवार,मई 2,2018
हर पेड़ एक मंदिर है, कोई नया, कोई पुराना। कोई पतझड़ में बिखरा, कोई बसंत में खिलता।
कविता : दे कोई दुहाई
जयति जैन 'नूतन' | बुधवार,मई 2,2018
नयनों की पुकार है, उस आंख वाले को, जो नासमझ बना है, जो नि:शब्द आगे बढ़ा है।
कविता : जीवन सत्य कहां?
जयति जैन 'नूतन' | मंगलवार,मई 1,2018
झूठे मंदिर, झूठे मस्जिद, झूठे चर्च यहां। कोई ना समझे, कोई ना जाने
हिन्दी कविता : नि:स्वार्थ भाव
जयति जैन 'नूतन' | सोमवार,अप्रैल 30,2018
हर पेड़ एक मंदिर है, कोई नया, कोई पुराना। कोई पतझड़ में बिखरा, कोई बसंत में खिलता।
कविता : शील बचाने उठ अब नारी
जयति जैन 'नूतन' | सोमवार,अप्रैल 30,2018
चल उठ स्त्री बांध कफन अब, कोई रक्षक नहीं आएगा, हत्या-शोषण-बलात्कार से अब, कोई तुझे नहीं बचाएगा।
कविता : नंगी जिंदा लाशें
जयति जैन 'नूतन' | सोमवार,अप्रैल 30,2018
था भूख का शिकार वो, कुपोषण का शिकार बता रहे थे। आते-जाते सभी उसकी, हालत पर शोक जता रहे थे।