हिन्दी कविता : सबेरा हुआ
अशोक बाबू माहौर | गुरुवार,जनवरी 9,2020
उठो, सबेरा हुआ चांद छुप गया रंग बदल गया भानु दस्तक देने लगा दरवाजे पर चिड़ियों की चहचाहट
कविता : झकझोरकर मुझे हवा ने
अशोक बाबू माहौर | बुधवार,जनवरी 16,2019
झकझोरकर मुझे हवा ने अलौकिक खेल दिखाया उतार कमीज पल में
हिन्दी कविता : फागुन मदमस्त
अशोक बाबू माहौर | सोमवार,फ़रवरी 27,2017
हुड़दंग गलियों में उड़ रहे गुलाल रंग हरे, पीले, लाल ओ री सखी फागुन मदमस्त। आंखें मलते भर-भर लोटा रंग उड़ाते
हो रहे ...