दाम्पत्य जीवन पर पड़ेगा ग्रहों का प्रभाव
देवउठनी ग्यारस पर शुभ मुहूर्त नहीं
देवउठनी की ग्यारस पर इस वर्ष सूर्य एवं बृहस्पति के अपनी नीच राशि में होने तथा शुक्र के अस्त होने की वजह से शादी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं बन रहा है। लेकिन इसके बावजूद शहर में कई लोगों द्वारा अबूझ मुहूर्त में विवाह तय किए गए हैं। लेकिन इन परिस्थितियों में जब ग्रह, नक्षत्र विवाह के लिए अनुकूल नहीं हैं, विवाह होने के पश्चात वर एवं वधू को अनेक समस्याओं से दोचार होना पड़ सकता है। ज्योतिषियों की मानें तो वर एवं वधू पक्ष को अपने सूर्य एवं गुरु को बल देने के लिए शादी के बाद कुछ प्रयास करने होंगे। जिनमें सबसे पहले लड़कों को सूर्य मंत्र 'ऊं श्री भास्कराय नमो नमः' का जाप 28 हजार बार करना होगा। इसके अतिरिक्त वे अनामिका ऊँगली में स्वर्ण में मानिक रत्न पहनें। वहीं लड़कियाँ भी बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए 'ऊं ब्रह्म बृहस्पतैय नमो नमः' का जाप करें। सफेद वस्तुओं का दान करें। तर्जनी ऊँगली में स्वर्ण में पुखराज पहनें।वरिष्ठ ज्योतिषी डॉ. एच.सी. जैन ने बताया कि अबूझ मुहूर्त में विवाह होने पर वर एवं वधू के दाम्पत्य जीवन के प्रभावित होने की संभावना अधिक है। डॉ. जैन के अनुसार जिन लड़कों का सूर्य कमजोर होगा, उसका राजपक्ष प्रभावित रहेगा, जिससे उसे पारिवारिक समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा। खास तौर पर लड़के के संबंध शादी के बाद अपने पिता से मन-मुटाव होने, दाम्पत्य जीवन प्रभावित होने, नेत्र रोग, हड्डी रोग व आलस्य से विभिन्न कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं। वहीं जिन वधुओं का गुरु बलहीन है, उन्हें अपने पति से मन-मुटाव, देर से संतान उत्पत्ति, ससुराल पक्ष से सहयोग न मिलना आदि समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है। ज्येतिषी जी.एम. हिंगे भी कुछ ऐसी ही राय व्यक्त करते हैं। उनके अनुसार देवउठनी ग्यारस पर दाम्पत्य जीवन शुरू करने वाले वर एवं वधू के आर्थिक व करियर संबंधी मामलों में कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन उनका दाम्पत्य जीवन जरूर प्रभावित हो सकता है। सूर्य के कमजोर रहने की वजह से शरीर में क्षीणता का अनुभव लड़के कर सकते हैं। लड़कियों को संतान उत्पत्ति में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।