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Written By WD

गणेश आराधना से होगा भ्रष्टाचार खत्म

गणेश
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प्रथम पूज्य गणाधिपति गणतंत्र के आराध्य देव हैं। यह रहस्य विद्वान व तपस्वी नेता लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक जानते थे। उन्होंने स्वतंत्रता एवं गणतंत्र की स्थापना के लिए संपूर्ण भारत में 10-11 दिवसीय गणपति आराधना की परंपरा प्रारंभ की थी जो अब भी जारी है। आज फिर भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए गणपति की आराधना की आवश्यकता है।

ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास ने कहा कि गणपति महोत्सव में गणराज की आराधना के साथ स्वतंत्रता के लिए चिंतन-मनन के साथ रणनीति तैयार की जाती थी। टिळक की प्रेरणा से की गई गणपति की उपासना से भारत ने स्वाधीनता प्राप्त की थी और अब महाराष्ट्र के गांधीवादी अन्ना हजारे आंदोलन कर रहे हैं।

गणपति उत्सव आज लक्ष्य और संकल्प से भटक गया है। आज जब भ्रष्टाचार चरम पर है तो फिर आवश्यकता है कि भ्रष्टतंत्र के प्रदूषण से गणतंत्र को मुक्त करने के लिए गणपति आराधना की जाए ताकि अन्ना हजारे के आंदोलन का बल प्राप्त हो सके।

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उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार बड़े गणेश मंदिर की स्थापना लगभग 104 वर्ष पूर्व दादाजी स्व. नारायण व्यास गुरु महाराज ने की थी। स्वतंत्रता और गणतंत्र प्राप्त करने के लिए बड़े गणेश की भव्य मूर्ति स्थापित की गई थी।

इस वर्ष गणपति की विशेष आराधना, अथर्व शीर्ष पाठ, मोदकों का हवन, महाभोग, लाल पुष्प व दुर्वा अर्पित कर भ्रष्टाचार मुक्त भारत की प्रार्थना की जाएगी। उन्होंने कहा कि मैंने गणेशोत्सव के आयोजनकर्ताओं से अपील की है कि भ्रष्टाचार मुक्त गणतंत्र के लिए दसों दिन गणपति की आराधना करें और कहें कि वे अन्ना के आंदोलन को जरूर सफल बनाएं।