Saturn Jupiter and Rahu transit 2025: बृहस्पति, शनि, राह और केतु- ये चार ग्रह ऐसे हैं जो एक ही राशि में लंबे समय तक रहकर धरती और राशियों पर अपना स्पष्ट प्रभाव छोड़ते हैं। जैसे शनि एक राशि में ढाई वर्ष, बृहस्पति एक वर्ष, राहु और केतु करीब 18 माह एक ही राशि में रहते हैं। इन चार ग्रहों के राशि परिवर्तन को महत्वपूर्ण माना जाता है। खासकर तब जबकि ये अपनी उच्च, नीच या स्वयं की राशि में गोचर करते हैं। वर्तमान में वर्ष 2025 में इन चारों ग्रहों में से शनि ने राशि परिवर्तन करके बता दिया है कि सतर्क हो जाओ और अब बृहस्पति, राहु और केतु का राशि परिवर्तन बचा है।
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शनि का राशि परिवर्तन का इतिहास और तथ्य:-
1. 1937 में मार्च में जब शनि मीन राशि में आया था तब द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हो चली थी। चीन ने जापान पर आक्रमण किया और धीरे-धीरे दुनिया में तनाव बढ़ता गया।
2. 1965-66 के बीच जब शनि मीन में जाने वाला था तक भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए इंदिरा गांधी को अपना नेता चुना। इसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर गोरक्षा आन्दोलन चला, जिसमें हजारों हिंदुओं का नरसंहार किया गया। दूसरी ओर वियतनाम युद्ध हुआ था।
3. 1995 के जून में शनि मीन राशि में आया था तब जापान में बड़ा भूकंप आया था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और बोस्नियाई युद्ध में करीब 8,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
4. अब शनि 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश किया है तो यह आशंका जताई जा रही है कि कोई बड़ा भूकंप और युद्ध होने वाला है। वर्तमान में भूकंप कई आए जिसमें बड़े की बात करें तो 7.7 तीव्रता का भूकंप म्यांमार में आया था।
बृहस्पति का अतिचारी गोचर और राशि का इतिहास और तथ्य:-
1. महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था।
2. करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे।
3. प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी।
4. पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है। वर्ष 2019 से ही देश और दुनिया में तेजी से बदलाव हुआ है। कोरोना महामारी के बाद तो दुनिया पूरी तरह से बदल गई है।
5. ज्योतिष के अनुसार अब 14 मई 2025 से गुरु के अतिचारी होने से बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा। लोगों की मानसिक स्थिति गड़बड़ा जाएगी। इसी के साथ ही महायुद्ध का बिगुल बज जाएगा
राहु का राशि परिवर्तन का इतिहास और तथ्य:-
1. राहु के वृषभ राशि में गोचर से आर्थिक संकट, भूखमरी और युद्ध जैसी घटनाएँ हो सकती हैं। राहु ग्रह जब भी राशि परिवर्त करता है। खासकर वह वृषभ में गोचर करता है तो ज्यादा नकारात्मक प्रभाव देता है। जैसे 1945-46 में भारत विभाजन की प्रक्रिया के दौरान उसने कोलकाता में दंगे कराए थे। 1964-65 में भारत-पाकिस्तान युद्ध और तमिलनाडु में भयंकर चक्रवात पैदा किया था। 1983-84 में ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या और दंगे करवाए थे। 2002-03 में गोधरा कांड और गुजरात दंगे, वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी और सांप्रदायिक तनाव।
2. राहु ने वर्ष 30 अक्टूबर 2023 में मीन राशि में प्रवेश किया था तभी से देश और दुनिया में युद्ध के हालात बढ़ गए थे। रशिया और यूक्रेन युद्ध के साथ ही हमास और इजराइल का भयानक युद्ध प्रारंभ हुआ था।
3. 18 मई 2025 को राहु ग्रह बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा। कुंभ में राहु के जाने से देश दुनिया में राजनीतिक हलचल और तेज हो जाएगी। कोरोना वायरस की तरह किसी नई महामारी के आने की संभावना है। टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो जाएगी जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। लोग अंतरिक्ष में जाने की योजना बनाएंगे।