ऐरावत हाथी का नाम सुनते ही मन यह प्रश्न उठता हैं कि यह कौन था? तो जानिए elephant airavat के बारे में 10 खास बातें...
1. ऐश्वर्ययुक्त दिव्यगुणों वाले ऐरावत हाथी (Airavat elephant) का नाम सुनते ही ऐश्वर्य और सौभाग्य का अनुभव होता है।
2. पुराणों में ऐरावत का वर्णन मिलता है कि वह चमकता हुआ श्वेत वर्ण का है। ऐरावत वास्तव में इंद्र के हाथी का नाम है। उसके 4 दांत हैं।
3. रत्नों के बंटवारे के समय इंद्र ने अत्यंत सुंदर और ऐश्वर्ययुक्त दिव्यगुणों वाले ऐरावत हाथी को अपने लिए रख लिया था। इसीलिए इसे इंद्रहस्ति अथवा इंद्रकुंजर भी कहा जाता है।
4. इसका ऐरावत नाम ही क्यों पड़ा, क्योंकि 'इरा' का अर्थ जल है, अत: इरावत (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को ऐरावत नाम दिया गया है। प्राचीन पुराणों में ऐरावत नाग को भी कहा गया है। धृतराष्ट्र नामक एक नाग का पैतृक नाम भी ऐरावत था।
5. देव तथा दानवों के बीच हुए समुद्र-मंथन से जो 14 रत्न प्राप्त हुए उनमें से एक ऐरावत भी था।
6. महाभारत, भीष्मपर्व के अष्ट्म अध्याय में भारतवर्ष से उत्तर के भू-भाग को उत्तर कुरु के बदले 'ऐरावत' कहा गया है। जैन साहित्य में भी यही नाम आया है।
7. ऐरावत के और भी नाम हैं- अभ्रमातंग, ऐरावण, अभ्रभूवल्लभ, श्वेतहस्ति, मल्लनाग, हस्तिमल्ल, सदादान, सुदामा, श्वेतकुंजर, गजाग्रणी तथा नागमल्ल।
8. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सपने में ऐरावत हाथी को देखना बहुत ही शुभ एवं हितकारी माना जाता है, यह ऐश्वर्य, सौभाग्य बढ़ाने के साथ-साथ सुख-समृद्धि का सूचक है।
9. प्रतिवर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी को श्री महालक्ष्मी या गजलक्ष्मी व्रत किया जाता है। इस संबंध में मान्यता हैं कि अर्जुन ने माता कुंती के लिए गजलक्ष्मी पूजन हेतु ऐरावत को धरती पर बुलाया था।
10. सभी धर्मों में हाथी को पवित्र प्राणी माना गया है। भारत में अधिकतर मंदिरों के बाहर हाथी की प्रतिमा भी लगाई जाती है। मान्यतानुसार सपने में ऐरावत हाथी देखने मात्र से यश, सम्मान, सुख-शांति, वैभव-वृद्धि, परिवार की वृद्धि, भाग्यशाली संतान प्राप्ति आदि के शुभ संयोग बनते हैं।