वट सावित्री पूर्णिमा व्रत : जानिए महत्व, पूजा विधि और सुनें कथा (वीडियो)
हिन्दू धर्म में वट वृक्ष का खास महत्व है। वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूरे भारत में पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा करने वाली महिलाओं का सुहाग अजर-अमर रहता है और उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है। वट वृक्ष की शाखाओं और लटों को सावित्री का रूप माना जाता है। देवी सावित्री ने कठिन तपस्या से अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं।
वट वृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना जाता है। यह इकलौता ऐसा वृक्ष है, जिसे तीनों देवों का रूप माना गया है। इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी भोलेनाथ का वास होता है। वट वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवता प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस बार वट पूर्णिमा व्रत 27 जून 2018 को है। हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत होता है।
वट पूर्णिमा व्रत विधि : जानिए क्या करें इस दिन
* सुबह स्नान कर साफ वस्त्र और आभूषण पहनें।
* यह व्रत 3 दिन पहले से शुरू होता है, इसलिए दिन भर व्रत रखकर औरतें शाम को भोजन ग्रहण करती हैं।
* वट पूर्णिमा व्रत के दिन वट वृक्ष के नीचे अच्छी तरह साफ सफाई कर लें।
* वट वृक्ष के नीचे सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां स्थापित करें और लाल वस्त्र चढ़ाएं।
* बांस की टोकरी में 7 तरह के अनाज रखें और कपड़े के दो टुकड़े से उसे ढंक दें।
* एक और बांस की टोकरी लें और उसमें धूप, दीप कुमकुम, अक्षत, मौली आदि रखें।
* वट वृक्ष और देवी सावित्री और सत्यवान की एक साथ पूजा करते हैं।
* इसके बाद बांस के बने पंखे से सत्यवान और सावित्री को हवा करते हैं और वट वृक्ष के एक पत्ते को अपने बाल में लगाकर रखा जाता है।
* इसके बाद प्रार्थना करते हुए लाल मौली या सूत के धागे को लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते हैं और घूमकर वट वृक्ष को मौली या सूत के धागे से बांधते हैं। ऐसा 7 बार करते हैं।
* यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद कथा सुनते हैं ... (कथा आप यहां सुन सकते हैं)
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत संपूर्ण कथा का वीडियो
* पंडित जी को दक्षिणा देते हैं। आप किसी जरूरतमंद को भी दान दे सकते हैं।
* घर के बड़ों का पैर छूकर आर्शीवाद लें और मिठाई खाकर अपना व्रत खोलें।
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत: 27 जून 2018 को सुबह 8.12 बजे से
पूर्णिमा तिथि कब खत्म होगी: 28 जून 2018 को 10.22 बजे