मंगलवार, 23 नवंबर को अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi 2021) मनाई जा रही है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार यह चतुर्थी जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत लाभदायी माना गया है। इस व्रत में श्री गणेश को सबसे पहले याद किया जाता है।
Angarki Chaturthi Importance महत्व- इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे सालभर के चतुर्थी व्रत का फल मिलता है। घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि, प्रगति, चिंता व रोग निवारण के लिए मंगलवार के दिन आने वाली चतुर्थी का व्रत किया जाता है।
वैसे श्री गणेश चतुर्थी हर महीने में 2 बार आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जब भी यह चतुर्थी मंगलवार को आती है, तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। दूसरी चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। इस बार मंगलवार को चतुर्थी होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।
वैसे श्री गणेश चतुर्थी हर महीने में 2 बार आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जब भी यह चतुर्थी मंगलवार को आती है, तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। दूसरी चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। इस बार मंगलवार को चतुर्थी होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि भारद्वाज और मां पृथ्वी का पुत्र था, जिसका नाम अंगारकी था और वह भगवान श्री गणेश का परम भक्त था। उन्होंने भगवान श्री गणेश की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर लिया तब श्री गणेश ने प्रगट होकर मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। तब अंगारकी ने कहा कि, हे भगवान, मैं हमेशा आपकी शरण में ही रहना चाहता हूं।
इस पर श्री गणेश ने एवमस्तु कहा और कहा कि जब भी किसी मंगलवार को चतुर्थी तिथि पड़ेगी उसे अंगारकी के नाम से जाना जाएगा। अंगारकी को अन्य नाम भगवान मंगल से भी जाना जाता हैं। मान्यतानुसार इस व्रत के प्रभाव से जीवन के सभी कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होकर कुंडली में चल रहे मंगल दोष का निवारण हो किया जाता है। अत: इस दिन श्री गणेश के साथ-साथ मंगल देवता का पूजन करना विशेष लाभदायी होता है।आइए जानें व्रत-पूजन और मुहूर्त-
इस पर श्री गणेश ने एवमस्तु कहा और कहा कि जब भी किसी मंगलवार को चतुर्थी तिथि पड़ेगी उसे अंगारकी के नाम से जाना जाएगा। अंगारकी को अन्य नाम भगवान मंगल से भी जाना जाता हैं। मान्यतानुसार इस व्रत के प्रभाव से जीवन के सभी कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होकर कुंडली में चल रहे मंगल दोष का निवारण हो किया जाता है। अत: इस दिन श्री गणेश के साथ-साथ मंगल देवता का पूजन करना विशेष लाभदायी होता है।आइए जानें व्रत-पूजन और मुहूर्त-
अंगारकी चतुर्थी आज के शुभ मुहूर्त-
चतुर्थी तिथि का आरंभ- 22 नवंबर को रात 10.27 मिनट से शुरू होकर 23 नवंबर 2021 को रात 12.55 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी।
ब्रह्म मुहूर्त- 05:18 एएम- 06:06 एएम
अभिजीत मुहूर्त- 11:46 एएम- 12:28 पीएम
Chandroday Time चन्द्रमा का समय-
चंद्रोदय का समय- 23 नवंबर 8:26 पीएम
चन्द्रास्त- 24 नवंबर 10:57 एएम
पूजा विधि-
* अंगारकी चतुर्थी के दिन व्रतधारी सबसे पहले स्वयं शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
* पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें।
* 'ॐ गं गणपतये नम:' के साथ गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
* निम्न मंत्र द्वारा गणेश जी का ध्यान करें।
'खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं
प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्
दंताघातविदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं
वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम।'
* यदि पूजा में कोई विशिष्ट उपलब्धि की आशा हो तो लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का प्रयोग करें।
* पूजा सिर्फ मन की शांति और संतान की प्रगति के लिए हो तो सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। सफेद चंदन का प्रयोग करें।
* फिर गणेश जी के 12 नामों का पाठ करें।
गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:। द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।। विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:। द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।विश्वं तस्य भवे नित्यं न च विघ्नमं भवेद् क्वचिद्।
मंत्र- Mantra
'सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:
लंबोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक:
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन:
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणयादपि
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमें तथा संग्रामेसंकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते'
गणेश आराधना के लिए 16 उपचार माने गए हैं-
1. आवाहन, 2. आसन, 3. पाद्य (भगवान का स्नान किया हुआ जल), 4. अर्घ्य, 5. आचमनीय, 6. स्नान, 7. वस्त्र, 8. यज्ञोपवीत, 9. गंध, 10. पुष्प (दूर्वा), 11. धूप, 12. दीप, 13. नेवैद्य, 14. तांबूल (पान), 15. प्रदक्षिणा, 16. पुष्पांजलि।

Lord Ganesha