सूर्य हर महीने एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। 17 अक्टूबर 2019 को सूर्य कन्या राशि को छोड़कर तुला में प्रवेश कर गए हैं। करीब एक महीने तक तुला राशि में ही रहेंगे सूर्य। सूर्य का तुला राशि में जाना नीच का माना जाता है। तुला सूर्य के शत्रु ग्रह शुक्र की राशि है। सूर्य के तुला राशि में गोचर से कुछ लोगों के लिए जीवन में अशुभ प्रभाव पड़ता है।
जब किसी की कुंडली में सूर्य का शुभ प्रभाव होता है तो व्यक्ति को नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलती है। सूर्य के शुभ होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और मान-सम्मान मिलता है। वहीं अगर कुंडली में सूर्य का अशुभ प्रभाव है तो यह असफलता का कारण बनता है। रुकावटें और परेशानियां बढ़ने लगती हैं। इसके अलावा धन हानि भी होती है।
वैसे तो हर दिन सूर्य को जल देना चाहिए। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्योंकि हर दिन इनके दर्शन प्राप्त होते हैं। बहुत से लोग इस नियम का पालन भी करते हैं। किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उसे सूर्य के राशि परिवर्तन के दौरान जल चढ़ाना चाहिए। अगर आप नियमानुसार सूर्य को जल दें तो इसका लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
सूर्य को जल क्यों चढ़ाएं
- ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है। नियमित सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है। सूर्य को जल देने से आरोग्य लाभ मिलता है।
- सूर्य को नियमित जल देने से सूर्य का प्रभाव शरीर में बढ़ता है और यह आपको उर्जावान बनाता है। कार्यक्षेत्र में इसका आपको लाभ मिलता है।
- जिनकी नौकरी में परेशानी चल रही हो वह नियमित सूर्य को जल देना शुरु करें तो उच्चाधिकारी से सहयोग मिलता है और मुश्किलें दूर होती हैं।
कैसे दें सूर्य को जल
सूर्य को स्नान के बाद तांबे के बर्तन से जल अर्पित करें।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने का एक समय होता है। सूर्य के उदय होने के 1 घंटे के अंदर अर्घ्य देना चाहिए। आप चाहे तो सुबह 8 बजे तक सूर्य को जल दे सकते हैं।
- सूर्य को जल देने से पहले जल में चुटकी भर रोली या लाल चंदन मिलाएं और लाल पुष्प के साथ जल दें।
- सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अगर कभी ऐसा हो कि सूर्य नजर ना आएं तब भी उसी दिशा की और मुख करके ही अर्घ्य दे दें।
- सूर्य को जल देते समय लाल वस्त्र पहनें। लाल कपड़ों मे अर्घ्य देना अच्छा माना गया है।
- अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है।
- सूर्य को जल चढ़ाने के साथ रोजाना इस मंत्र का भी जाप करें। इससे बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होती है।
ॐ नमो भगवते श्री सूर्यायाक्षितेजसे नम:। ॐ खेचराय नम:।
ॐ महासेनाय नम:। ॐ तमसे नम:।
ॐ रजसे नम:। ॐ सत्वाय नम:।
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।
हंसो भगवाञ्छुचिरूप: अप्रतिरूप:।
विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं ज्योतीरूपं तपन्तम्।
सहस्त्ररश्मि: शतधा वर्तमान: पुर: प्रजानामुदत्येष सूर्य:।
ॐ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्याक्षितेजसे हो वाहिनि वाहिनि स्वाहेति।