महानंदा नवमी (Mahananda Navami 2022) के दिन माता पार्वती के ही एक अन्य स्वरूप देवी नंदा की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। इस दिन नंदा माता तथा देवी लक्ष्मी जी के पूजन से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। आइए यहां जानते हैं मंत्र और उपाय-
मंत्र-
- 'ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।'
- 'ॐ ऐं क्लीं सौ:।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नम:।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।'
उपाय-
1. महानंदा नवमी के दिन श्री की देवी लक्ष्मी जी की विधि-विधान से व्रत-पूजन तथा मंत्र का जाप करने से दारिद्रय या गरीबी दूर होकर जीवन में संपन्नता आती है।
2. महानंदा नवमी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, अत: यदि जीवन घोर संकटों से घिर गया हो तो महानंदा व्रत करने से घर सुख-समृद्धि आती है, धन की कमी दूर होती है तथा धीरे-धीरे संकटों से मुक्ति मिलती है।
3. महानंदा नवमी के दिन कुंवारी या छोटी कन्याओं का पूजन उनके, कन्या भोज के पश्चात उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए, यह बहुत ही शुभ माना गया है।
4. इस दिन अलक्ष्मी का विसर्जन किया जाता है, अर्थात् सुबह जल्दी उठकर घर का कूड़ा-कचरा इकट्ठा करके सूपे में भरकर घर के बाहर करना चाहिए तथा स्नानादि के उपरांत श्री महालक्ष्मी का आवाह्न-पूजन करना चाहिए।
5. नवमी के दिन 'देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥' मंत्र का 108 मखानों द्वारा हवन करने से सुख-सौभाग्य, आरोग्य, सुंदरता तथा चारों दिशाओं से सफलता प्राप्त हती है।
6. एक अच्छी पत्नी की तलाश कर रहे विवाह योग्य जातकों को नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के खास मंत्र- 'पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम् तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।' का जाप 21 बार करना चाहिए।
7. महानंदा नवमी के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है, अत: इस दिन असहायों तथा जरूरतमंदों को दान करने से सुख-समृद्धि तथा विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
8. शत्रु से छुटकारा पाने के लिए, मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।' से धान के लावा यानी धान को भूनकर उससे हवन करें।
9. आर्थिक रूप से संपन्नता पाने के लिए नवमी के दिन सिद्धकुंजिका स्रोत का पाठ करें, कन्या भोज करें तथा कुछ न कुछ भेंट देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
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