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महानंदा नवमी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि जानिए

महानंदा नवमी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि जानिए - Mahananda Navami 2022 date
Mahananda Navami 2022: महानंदा नवमी के दिन देवी नंदा का पूजन किया जाता है, धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नंदा, देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। महानंदा नवमी के दिन माता के पूजन से देवी लक्ष्मी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में-
 
महत्व : धार्मिक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर किसी अज्ञात कारणों की वजह से जीवन में परेशानी, संकट का आभास होने लगे, सुख-समृद्धि, धन की कमी होने लगी हो तो महानंदा नवमी व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए सभी परेशानियों से मुक्ति के लिए नवमी के दिन महानंदा व्रत किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जीवन में परेशानियां अगर निरंतर बढ़ती हुई महसूस हो रही हैं और धन हानि हो रही हो तो ऐसे व्यक्तियों को यह व्रत करने से जीवन में सभी सुखों की तथा शुभ फल की प्रा‍प्ति होती हैं। 
 
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार नवमी के दिन कुंवारी कन्या का पूजन करके उससे आशीर्वाद लेना विशेष शुभ माना गया है। अत: नवमी तिथि को कन्या भोज तथा उनके चरण अवश्‍य छूने चाहिए। महानंदा नवमी व्रत पर श्री की देवी लक्ष्मी जी का पूजन तथा उनके मंत्रों का जाप करने से गरीबी, दारिद्रय, दुख दूर होता है। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से सुख-समृद्धि तथा विष्णु लोक मिलता है। मान्यतानुसार महानंदा नवमी व्रत करने वालों को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होने लग‍ती है। 
 
महानंदा नवमी पूजन के मुहूर्त- Mahananda Navami Date 2022
- मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि सुबह 07.21 पर समाप्त हो रही है तथा इसके उपरांत नवमी तिथि 2 दिसंबर को सुबह 06.15 तक रहेगी। तत्पश्चात दशमी तिथि शुरू होगी।
 
- 1 दिसंबर, गुरुवार को राहुकाल का समय- दोपहर 01.35 मिनट से 02.56 मिनट तक रहेगा।
 
पूजा विधि-
- महानंदा नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर घर का कूड़ा-कचरा इकट्‍ठा करके सुपड़ी (सूपे) में रखकर घर के बाहर करना चाहिए। इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है। 
 
- फिर हाथ-पांव धोकर दरवाजे पर खड़े होकर श्री महालक्ष्मी का आवाह्‍न करना चाहिए।
 
- स्वच्छ धुले और सफेद वस्त्र धारण करके एक आसन बिछाकर स्थान ग्रहण करना चाहिए। 
 
- उसके बाद एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। 
 
- मां लक्ष्मी को कुमकुम, अक्षत, गुलाल, अबीर, हल्दी, मेहंदी चढ़ाएं तथा उनका पूजन करें।
 
- इस दिन पूजन स्थान के बीचोबीच गाय के घी का एक बड़ा अखंड दीया जलाना चाहिए तथा धूप बत्ती प्रज्ज्वलित करना चाहिए। 
 
- आज 'ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:' मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए।
 
- माता को सफेद मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा, ऋतु फल, मखाने, बताशे आदि को भोग लगा कर रात्रि जागरण करें। 
 
- रात्रि में श्र‍ी विष्णु-मां लक्ष्मी का पूजन करने के पश्‍चात व्रत का पारण करना चाहिए।
 
- इस दिन 'श्री' यानी महालक्ष्मी देवी की विधिवत पूजा कर व्रत-उपवास रखकर कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
 
- इस दिन मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करके हवन करने से गरीबी दूर होकर धनलक्ष्मी का आगमन होता है तथा जीवन सुख-संपन्नता से भर जाता है।

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