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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 6 मई 2025 (15:23 IST)

महाभारत काल जैसी है इस वक्त ग्रह- नक्षत्रों की स्थिति, क्या होगा कुरुक्षेत्र जैसा युद्ध?

Saturn transit in Pisces 2025
वर्तमान में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति बनी है जो कि 5 हजार वर्ष पूर्व महाभारत काल में बनी थी जिसके चलते कुरुक्षेत्र का युद्ध हुआ था। वर्तमान में 8 वर्षों तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में देश और दुनिया के लिए वर्ष 2033 तक यही स्थिति बनी रहेगी। आओ जानते हैं कि क्या है ग्रहों की स्थिति और क्या कुछ बड़ा होने वाला है।
 
हाल ही में 29 मार्च 2025 शनिवार के दिन शनि ग्रह ने कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर किया है। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी था। कहा जा रहा है कि शनि का द्वादश भाव में गोचर ढाई वर्षों तक रहेगा जोकि अशुभ फल देगा। शनि जब भी मीन राशि में गोचर करता है तो देश में बड़े भूकंप और युद्ध का खतरा बना रहता है। इसके बाद 14 मई 2024 बुधवार को बृहस्पति ग्रह वृषभ से निकलकर मिधुन राशि में प्रवेश करेंगे तब वे 3 गुना अतिचारी होकर 18 मार्च 2033 तक यानी 8 वर्षों तक मिथुन सहित अन्य राशियों में अतिचारी रहेंगे। इन 8 वर्षों में वे धरती पर सबकुछ बदलकर रख देंगे। इसके बाद 18 मई को राहु का कुंभ में गोचर होगा। ऐसी स्थिति महाभारत काल में बनी थी।ALSO READ: मंगल और राहु मिलकर तय करेंगे कि कब पाकिस्तान से होगा युद्ध

अतिचारी बृहस्पति की असामान्य गति:
महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था। करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है। वर्ष 2019 से ही देश और दुनिया में तेजी से बदलाव हुआ है। कोरोना महामारी के बाद तो दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2025 में बदलाव का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। ज्योतिष की दृष्टि से 2025 और 2026 को सबसे खतरनाक वर्ष बताया जा रहा है। क्योंकि इसी दौरान शनि, गुरु, राहु और केतु का महापरिवर्तन होने वाला है। 
 
ज्योतिष के अनुसार 14 मई 2025 से गुरु के अतिचारी होने से धरती के मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा। लोगों की मानसिक स्थिति गड़बड़ा जाएगी।ALSO READ: महाभारत के अनुसार कब युद्ध करना चाहिए?
mahabharata
भविष्य मालिका की भविष्यवाणियां:
ओड़िसा के पंचसखा में से एक संत अच्युतानंददास की ने 500 वर्ष पहले अनगिनत भविष्यवाणियां की हैं। इनकी भविष्यवाणी की किताब को 'भविष्य मालिका' कहा जाता है। उनकी भविष्यवाणियों में कलयुग में अकाल, युद्ध, विस्फोट, भूचाल, महामारी के साथ ही देशों के भविष्य को लेकर भी भविष्यवाणियां हैं। उन्होंने कलयुग के अंत और उसके बाद विनाश की भविष्यवाणी की थी। इसके बाद उन्होंने सतयुग के प्रारंभ की बात कहीं है।
 
हाल ही में महाभारत के युद्ध को लेकर भी उनकी भविष्वाणी वायरल हो रही है। बताया जा रहा है कि महाभारत के युद्ध के समय कई लोग किसी कारणवश इस युद्ध में भाग नहीं ले पाए थे। वे सभी योद्धा युद्ध लड़ना चाहते है और अब उनकी यह इच्छा कलयुग के अंत में पुरी होगी जबकि कल्कि अवतार का जन्म होगा। भगवान बलराम भी युद्ध में भाग नहीं ले पाए थे। बलरामजी को ही जगन्नाथपुरी में बलबद्र के नाम से जाना जाता है। कलयुग के अंत में बलरामजी प्रकट होंगे। और कलयुग के अंत में महाभारत का अधुरा युद्ध फिर से लड़ा जाएगा।ALSO READ: क्या भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होने वाला है, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र
 
'भविष्य मालिका' में ऐसे संकेत किए गए हैं जिससे यह पता चलता है कि कब कलयुग का अंत होगा। वायरल हो रहे वीडियो में बताया जा रहा है कि जगन्नाथ मंदिर से मिल रहे संकेतों से यह पता चलता है कि वर्ष 2022 में कलयुग का अंत हो गया है और अब विनाश का प्रारंभ होगा। कहा जा रहा कि शनि के कंभ राशि में प्रवेश करते ही तीसरे विश्‍व युद्ध प्रारंभ की नींव पड़ जाएगी। शनि ने 29 अप्रैल को ही कुंभ में प्रवेश किया है। उससे पहले ही रशिया और यूक्रेन का युद्ध प्रारंभ हो गया है। बताया जा रहा है कि शनि के वक्री होकर 12 जुलाई 2022 को मकर राशि में गोचर करेगा। उसके बाद जब 17 जनवरी 2023 को शनि पुन: कुंभ में आएंगे तो तीसरा विश्‍व युद्ध प्रारंभ हो जाएगा। यह युद्ध 6 साल 6 माह चलेगा और भारत इसमें अंतिम के 13 माह तक शामिल रहेगा। यानी वर्ष 2028 से 2029 के बीच भारत युद्धरत रहेगा। जीत अंत में भारत की होगी। लेकिन तब तक भारत में मिलट्री शासन होगा। उसके बाद भारत की शासन व्यवस्था अलग ही होगी। यानि उस वक्त ओड़िसा का अंतिम राजा गजपति महाराज होगा और भारत के आखिर प्रधानमंत्री के बारे में कहा गया है कि वह एक योगी पुरुष होगा और उसकी कोई संतान नहीं होगी। सभी मान रहे हैं कि यो‍गी आदित्यनाथ ही भारत के अंतिम प्रधानमंत्री होंगे।
 
डिस्क्लेमर: वायरल हो रही उपरोक्त भविष्यवाणियों का प्रमाण हम नहीं दे सकते और न ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं। उनकी इन भविष्यवाणियों को कई लोग तोड़-मरोड़ कर भी पेश करते हैं और अपने तरीके से भी प्रचारित कर रहे हैं।
 
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