Shanidev: शनि देव को दंडनायक कहा गया है। वे न्याय के देवता है। मकर और कुंभ राशि के स्वामी है। मकर राशि से आपके कर्म का लेखा जोखा रखते हैं और कुंभ राशि से आपकी इच्छाओं को संग्रहित करते रहते हैं। लाल किताब के अनुसार लोगों को उनके पिछले और वर्तमान जन्म के कर्मों के अनुसार लाभ और हानि देते रहते हैं। यदि पिछले जन्म से ही आपके कर्म खराब होते आए हैं तो इस जन्म में 36 वर्ष की उम्र में वह आपकी जिंदगी की सभी इच्छाओं और चाहतों को रोककर रखेंगे और कुछ भी ठीक नहीं होने देंगे। वे जिस भाव में बैठे हैं और जहां जहां देख रहे हैं वहां के शुभ फल को वे नष्ट कर देंगे।
कोई उपाय नहीं करता है काम?
आप ज्योतिष के कितने भी उपाय कर लें लेकिन शनिदेव आपको अपने पंजे से तब तक मुक्त नहीं करेंगे जब तक की आप सही रास्ते पर नहीं आ जाते हैं। फिर चाहे कितनी की पूजा पाठ करें, प्रार्थना करें या अनुष्ठान कराते रहें शनिदेव को जो करना हैं वे करते रहेंगे।
बस 5 आदतें सुधार लेंगे तो शनिदेव देंगे शुभ फुल:
1. तामसिक खानपान: शनिदेव को शराब पीने और मांस खाने वाले लोग पसंद नहीं है। यदि आपके कुल खानदान में शराब पीने या मांस खाने की परंपरा है तो फिर आपको दिन डिसाइड करना होंगे। जैसे शनिवार, अमावस्या, पूर्णिमा, व्रत और त्योहार के दिन आपको इस कार्यों से दूर रहना होगा।
2. किसी को सताना: किसी गरीब, मजदूर, पशु-पक्षी, विद्वान, विधवा, तलाकशुदा, पराई महिला और रिश्तेदारों को सता रहे हैं, उनको धोखा दे रहे हैं या किसी भी प्रकार से उन्हें दुख पहुंचा रहे हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि जब शनि का दंड चलता है तो ऐसा जातक का धन, पद, ज्ञान, सम्मान, शक्ति सहित सभी कुछ नष्ट हो जाता है।
3. किसी के रोजगार को हानि पहुंचाना: किसी की नौकरी या व्यापार का किसी भी तरीके से नुकसान करना। उसे अपनी आजीविका चलाने से रोकना।
4. ब्याज का धंधा करना: शनिदेव को किसी भी प्रकार से ब्याज के माध्यम से आजीविका चलाना पसंद नहीं। ऐसे जातक को प्रारंभ में तो बहुत लाभ मिलता है लेकिन बाद में उसे इस सब का हिसाब किताब चुकता करना होता है। ब्याज का पैसा पागलखाने, जेलखाने या दवाखाने में खर्च होता रहता है या चोरी हो जाता है।
5. नास्तिक, अहंकारी और क्रोधी: शनिदेव को नास्तिक, अहंकारी और क्रोधी व्यक्ति पसंद नहीं है। किसी भी देवी-देवता, गुरु आदि का अपमान करना, अहंकार या क्रोध करना जातक के जीवन में तूफान खड़ा हो सकता है।
नोट: उपरोक्त आदत नहीं है या छोड़ने का संकल्प ले लिया है तो ही हनुमान चालीसा पढ़ना का तुरंत ही लाभ होगा।