साल 2025 में 7 सितंबर रविवार को लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह शनि देव की राशि और उनके नक्षत्र में लगने जा रहा है। इसी के साथ ही 122 वर्ष के बाद ऐसा दुर्लभ योग बना है कि यह शनि के वक्री गोचर के दौरान पितृपक्ष के पूर्णिमा श्राद्ध के दिन लगेगा। इस खग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 पर प्रारंभ होगा। रात्रि 9:57 पर ग्रहण लगेगा। मध्यरात्रि 01:27 पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में मन में यह सवाल आता है कि रविवार यानी सूर्य के वार को चंद्रग्रहण लग रहा है तो हनुमान चालीसा, शनि चालीसा, विष्णु सहस्रनाम या पढ़ें शिव चालीसा?
				  																	
									  
	 
	चंद्र ग्रहण के दौरान हनुमान चालीसा, शनि चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा, इन सभी का पाठ करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण काल में किया गया जप, तप और दान कई गुना फल देता है। ग्रहण के समय, आप जिस भी देवता में गहरी आस्था रखते हैं, उनके मंत्र या चालीसा का जाप कर सकते हैं। यह आपके मन को शांत रखेगा और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेगा। आप अपनी आस्था के अनुसार इनमें से किसी भी पाठ का चयन कर सकते हैं:-
				  				  
	 
	1. हनुमान चालीसा: ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और भय से मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत प्रभावी माना जाता है।
				  						
						
																							
									  
	2. शनि चालीसा: यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, तो शनि चालीसा का पाठ करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और कष्टों से राहत मिलती है।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	3. विष्णु सहस्रनाम: यह भगवान विष्णु के हजार नामों का संग्रह है। इसका पाठ करने से जीवन में सुख-शांति आती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।
				  																	
									  
	4. शिव चालीसा: भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और मन को शांत रखने के लिए शिव चालीसा का पाठ करना शुभ होता है।
				  																	
									  
	 
	चंद्र ग्रहण के 5 अचूक उपाय:
	1. ग्रहण के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' या 'महामृत्युंजय' मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
				  																	
									  
	2. ग्रहण के बाद स्नान करें। ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान करें। घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
				  																	
									  
	3. ग्रहण के बाद दान करें। ग्रहण समाप्ति के बाद सीधा दान करें। इसमें गुड़, आटा, घी, नमक और शक्कर एक थाली में रखकर मंदिर में दान करें।
				  																	
									  
	4. ग्रहण से पहले भोजन और पानी में तुलसी के पत्ते डाल दें। तुलसी पत्तियां ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा से खाद्य पदार्थों की रक्षा करती हैं।
				  																	
									  
	5. ग्रहण के बाद काली गाय के घी का दीपक बनाकर अखंड ज्योत जलाने से आर्थिक समस्या दूर होती है।