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12 राशियों से जानिए कौन सी बीमारियां हो सकती हैं आपको...

12 राशियों से जानिए कौन सी बीमारियां हो सकती हैं आपको... - Health Problems And Astrology
हर इंसान की अपनी एक राशि और प्रकार होता है, यह तो आप जानते होंगे। लेकिन यह बात आपको शायद ही पता हो, कि न केवल मनोभाव एवं आध्यात्म के स्तर पर, बल्कि आपके स्वास्थ्य के स्तर पर भी आप अपनी राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष के अनुसार हर राशि का शरीर के कुछ विशेष अंगों पर अधिकार होता है और जब शरीर के वे अंग बीमार या समस्याग्रस्त होते हैं, तब उन अंगों से संबंधित राशि की ऊर्जा उन्हें स्वस्थ्य करने में कारगर साबित होती है। 
 
ऐसे में सेहत से जुड़ी समस्याओं का सही समाधान चाहते हैं, तो अपनी राशि के अनुसार चिकित्सा करना विशेष रूप से फायदेमंद उपाय साबित हो सकता है। जानिए ज्योतिष के अनुसार कैसे कर सकते हैं इलाज - 
 
1 मेष- मेष राशि शरीर में सिर, बाल और चेहरे का प्रतिनिधित्व करती है। इस राशि के लोगों में प्रतिनिधित्व करने, खुद के हक के लिए लड़ने और जो वे चाहते हैं वहां तक पहुंचने के लिए ऊर्जा का भंडार होता है। इस तरह के लोग मनोभाव, उत्साह, आत्मविश्वास और गुस्से का नियंत्रण भी इन्हीं के पास होता है। मेष राशि वालों में ऊर्जा का असंतुलन होने पर प्रमुख रूप से माइग्रेन, आत्मविश्वास की कमी, नाक बहना, साइनस, त्वचा समस्याएं, एग्जिमा, रेशेस और बालों के झड़ने की समस्याएं हो सकती हैं।
 
उपाय : इनसे निपटने के लिए जरूरी है कि आप खुद को सही मायने में पहचानें और जीवन में अपने दिल की सुनें और उसके अनुसार ही आगे बढ़ें। अगर आप खुद को दबाए हुए हैं या अंधेरे में रखें हुए हैं और आपका अहं आपके लिए सबसे ऊपर है, तो आपको खुद में बदलाव कर अपनी ऊर्जा को संतुलि‍त करने की जरूरत है। आपको अपने अत्यधिक सक्रिय दिमाग को थोड़ा आराम देना चाहिए और छोटी-मोटी चीजों को अनदेखा करने की कला आनी चाहिए। अपने आसपास की दुनिया और लोगों पर ध्यान दीजिए और खुश रहिए।
 
2 वृषभ- वृषभ राशि वालों का विशेष संबंध गले, गर्दन, एवं उससे जुड़ी समस्याओं जैसे थायरॉइड, टॉन्सिल्स, कंधे आदि से होता है। इसकी ऊर्जा असंतुलित होने पर कंधे के ऊपरी भाग में दर्द एवं गले की समस्याएं हो सकती हैं और कई बार बदलाव से डर से आप  चीजों को छोड़ने का साहस नहीं जुटा पाते और पुरानी चीजों से ही चिपके रहते हैं।
 
उपाय : इन समस्याओं से बचने के लिए आपको जरूरत है जीवन प्रति प्रायो‍गिक, व्यवस्थित और कर्म प्रधान रूख अपनाने की। अगर आप अपना आधार खो रहे हैं या फिर किसी ऐसी चीज मं उलझे है जिसके समाप्त होने की संभावना नजर नहीं आती, तो इस समय आपको अपनी ऊर्जा को गले पर केंद्रित कर इसे संतुलित करने की जरूरत है। ऐसा आप नीले क्रिस्टल की सहायता से कर सकते हैं। आप चाहें तो गायन में रुचि लें या फिर अपने बाहरी वातावरण में कुछ बदलाव भी कर सकते हैं।
 
3  मिथुन- इस राशि का शासन आपके दिमाग, विचार, खुद को अभिव्यक्ति करने की क्षमता, बांहें और हाथों पर विशेष रूप से होता है। अपनी ऊर्जा के जरिए इस राशि के लोग विचारों की सुव्यवस्थ‍ित अभिव्यक्ति की कला में माहिर होते हैं। इस तरह के लोग प्रमुखत: लेखक, वक्ता और संवादक होते हैं। लेकिन ऊर्जा का असंतुलन होने पर इस राशि के लोगों में विचारों में बिखराव, कंफ्यूज होना, हाथों या बाहों में दर्द, अभिव्यक्ति देने में भय, बिना सोचे समझे बोल देना या इधर-उधर की बातें करने एवं सुनने में दिलचस्पी होना जैसी समस्याएं हो सकती है। 
 
उपाय : इनसे बचने के लिए मेडिटेशन करना या डेली डायरी लिखना बेहतर उपाय हो सकता है। ऐसा करने से आपको शांत चित्त होने में मदद मिलेगी, साथ ही दिमाग में बार-बार आने वाले विचारों से भी छुटकारा मिलेगा।
 
4 कर्क- सेहत के लि‍हाज से कर्क राशि का स्वामित्व सीने, वक्षस्थल, और हृदय पर होता है। इस राशि के लोगों में अपने मनोभावों को सच्चाई के साथ बयां करने का सामर्थ्य होता है। इस तरह के लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा खुशी-खुशी तैयार होते हैं। इन लोगों में ऊर्जा का असंतुलन होने पर मनोभावों का अनियंत्रित होना, अतिसंवेदनशीलता, अकेलापन पसंद करना, श्वसन संबंधी समस्याएं, कफ आदि समस्याएं होती हैं।  
 
उपाय : ऐसा होने पर आपके लिए खुली हवा में प्राणायाम एवं हल्का फुल्का व्यायाम करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा लोगों के साथ घुलना-मिलना, बातचीत करना, खुद से प्यार करना भी आपको सीखना होगा। 
 
5 सिंह- दि‍ल यानि हृदय पर इस राशि का राज चलता है साथ ही पीठ व कंधों से भी इसका संबंध है। सिंह राशि के लोग खूद पर विश्वास रखते हुए  सीखना और आगे बढ़ना पसंद करते हैं। इस राशि के लोग गर्व, आत्मविश्वास ,निडरता से भरे होते हैं।सिंह राशि वालों में ऊर्जा का असंतुलन होने पर हृदय से जुड़ी समस्याएं, मन की भावनाएं व्यक्त करने में कठिनाई, आत्मविश्वास की कमी, शर्मीलापन और डर होने की संभावनाएं बनती हैं।
 
उपाय :  इससे बचने के लिए किसी प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति जैसे डांस, कविता करना, अभिनय आदि, आपकी ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक हो सकती है। हृदय क्षेत्र के लिए योगा करना लाभकारी होगा और अपनी भावनाओं को किसी करीबी से बांटना भी जरूरी है।
 
6 कन्या- कन्या राशि पेट और पाचन तंत्र पर शासन करती है। इस राशि के लोग जमीनी, जीवन के प्रति प्रोत्साहित करने वाले होते हैं। कई बार ये लोग बारीकियों पर नजर रखने वाले और जिद्दी या हठी भी होते हैं।  
 
उपाय : इन लोगों को अपनी ऊर्जा को संतुलित करने के लिए कई बार कुछ चीजों या बातों एवं खुद से की गई अपेक्षाओं को अनदेखा करना जरूरी है। दिमाग को शांत रखें एवं ताने या चिड़चिड़पन से किनारा करें। मेडिटेशन, कलात्मक गतिविधियां और व्यायाम करें। सेहतमंद चीजें, सब्जियां एवं फल खाएं और स्वस्थ रहें।
 
7 तुला- तुला राशि प्रमुख रूप से किडनी, गॉल ब्लेडर, और शरीर का निचले हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। इस राशि के लोग दूसरों से जुड़ना, स्वस्थ सहभागिता एवं संबंधों को बेहतरी से निभाने वाले होते हैं। इन लोगों में ऊर्जा असंतुलन होने पर या तो ये पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होते हैं, या फिर दूसरों पर। ब्लेडर इंफेक्शन, बार-बार पेशब आना या कमर में दर्द की समस्या हो सकती है।
 
उपाय : इससे बचने के लिए जीवन में समझौता करना और कभी-कभी दूसरों के बारे में सोचना आपको जरूर सीखना होगा। इसके अलावा अगर आप दूसरों पर कुछ ज्यादा ही निर्भर करते हैं, तो यही सही समय है खुद की ताकत और आत्मनिर्भरता को पहचानने का। 
 
8 वृश्चिक- वृश्चिक राशि प्रमुख रूप से जननेंद्रिय अंगों पर शासन करती है। इस राशि के लोग परिवर्तनीय और जीवन में सीखना और अनुभवों के आधार पर आगे बढ़ने को महत्व देते हैं। ऊर्जा का असंतुलन होने पर इनमें परिवर्तन के प्रति डर, चीजों, स्थानों या बातों से जुड़े रहना अर्थात छोड़ नहीं पाना, अत्यधिक तनाव, संबंध बनाने में अरूचि या फिर इस तरह की इच्छाओं में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। 
 
उपाय : इसके लिए आपको अपने जीवन में होने वाले परिवर्तनों को अपनाना होगा और पुरानी चीजों से भी कुछ दूरी बनानी होगी। मेडिटेशन करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। पानी एवं पानी वाले स्थानों के पास समय व्यतीत करना भी आपको ताजगी देने एवं भावनात्मक सहयोग देने में सहायक होगा। 
 
9 धनु- धनु राशि हिप्स यानि नितंब और कूल्हों का प्रतिनिधित्व करती है। इसके अलाव लिवर का संबंध भी इसी राशि से है। धनु राशि वाले सीखने, समझने, पढ़ाने और जो सीखा है उसे आगे बढ़ाने में हमेशा आगे होते हैं। इसके अलाव ये लोग रोमांचक चीजों में भी बेहद रूचि रखते हैं। इन्हें जीवन को समझना और दुनिया को जानना पसंद होता है। 
 
उपाय : ऊर्जा असंतुलन होने पर इन्हें लिवर संबंधी समस्याएं, कूल्हे और हिप्स की समस्याएं हो सकती है। इन्हें आराम न करने या अधिक समय तक एक स्थान पर बैठक रहने से भी समस्या हो सकती है। निष्क्रियता, कुछ करने या सीखने का मन न होना भी इसमें शामिल है।
 
10 मकर- आपकी हड्ड‍ियों, घुटनों एवं दांतों पर इस राशि का पूर्ण साम्राज्य होता है। मकर राशि वाले लक्ष्य के प्रति समर्पित, अतिप्रोत्साहित होते हैं। ये जो सोचते हैं उसके प्रति क्रियाशील रहते हैं और फैशन के प्रति भी सजग होते हैं। इनमें काम को लेकर अत्यधिक समर्पण या यूं कहें कि लत हो सकती है। इनकी ऊर्जा असंतुलित होने पर इन्हें घुटनों या जोड़ों से संबंधित समस्या, दांतों में दर्द, केविटी हो सकती है।  
 
उपाय : ऊर्जा को संतुलित करने के लिए इन्हें खुद के लिए ब्रेक लेना चाहिए और विचार करना चाहिए कि आपको अपने लक्ष्यपूर्ति के लिए क्या चाहिए। काम को दोबारा जब शुरु करें, तो काम पहले की अपेक्षा कम और हल्की फुल्की चीजों या खेल को भी महत्व दें। मेडिटेशन करना फायदेमंद हो सकता है। योगा और लेखन भी मददगार हो सकता है। 
 
11 कुंभ- कुंभ राशि का स्वामित्व एड़ियों एवं नर्वस सिस्टम पर होता है। इस राशि के लोग मानवता के पक्ष में होते हैं और किसी भी विषय पर व्यापक स्तर पर सोचते हैं। इनकी ऊर्जा बेहद आविष्कारक और बदलाव लाने वाली होती है। ऊर्जा का असंतुलन होने पर यह आपको पागल वैज्ञानिक भी प्रतीत हो सकते हैं या ऐसा लग सकता है कि इनकी सोच सच्चाई से कोसों दूर है। ये हड़बड़ी वाले हो सकते हैं और इन्हें एड़ियों की समस्या हो सकती है।   
 
उपाय : इनके लिए कलात्मक होना एवं जीवन को नई युक्तियों के साथ जीना, ऊर्जा संतुलन के लिए आवश्यक है। बड़ी सोच रखें और अपनी युक्तियों के साथ उस पर काम करें। हर दिन कुछ ऐसा करें जो आपको प्रेरणा दे और अच्छे लोगों के साथ रहकर उनसे सीखते और बढ़ते रहें। 
 
12 मीन- इस राशि का शासन पाइनियल ग्रंथि पर होता है। मीन राशि वाले अपनी स्वयं की सोच एवं आत्मिकता को पंक्तिबद्ध करके आगे बढ़ते हैं और बेहद कलात्मक या कला के माध्यम से अभिव्यक्ति देने वाले होते हैं। ऊर्जा असंतुलन होने पर ये लोग जमीनी नहीं रह जाते। दूसरों की जरूरतों को भी नहीं समझ पाते और पहुंच से दूर हो जाते हैं। इनमें अहं की भावना हो सकती है और कभी-कभी डर भी।  
 
उपाय : ऊर्जा संतुलन के लिए आवश्यक है कि ये लोग आध्यात्मिक व आत्मिक रूप से खुद से जुड़े रहें। मेडिटेशन इसके लिए बेहद प्रभावी तरीका है। इसके लिए कलात्मक होना एवं अपनी ऊर्जा को किसी उत्पादकता में लगाना भी कारगर होगा। पैरों की मसाज लाभकारी होगी और जमीन से जुड़े रहना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।  
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