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हलहारिणी अमावस्या : राशि अनुसार शिव पूजा से मिलेगा अन्न-धन का वरदान, Halharini Amavasya पर 6 काम जरूर करें

हलहारिणी अमावस्या : राशि अनुसार शिव पूजा से मिलेगा अन्न-धन का वरदान, Halharini Amavasya पर 6 काम जरूर करें - Halharini Amavasya 2022
हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास में आनेवाली इस अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है। किसानों के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। किसानों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ मास की इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। अत: फसल की बुआई के लिए यह समय अतिउत्तम होता है। 
 
इस दिन किसान विधि-विधान से हल का पूजन करके फसल हरी-भरी बनी रहने के प्रार्थना करते हैं ताकि घर में अन्न-धन की कमी कभी भी महसूस न हो। इस दिन हल पूजन तथा पितृ पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन को आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है।
 
इस दिन पितृ निवारण करने के लिए दिन बहुत ही उत्तम माना गया है, पितृ पूजन से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं। इस दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराना चाहिए। आषाढ़ी अमावस्या के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पितृ तर्पण करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं बनाकर किसी तालाब या नदी में रह रहे मछलियों को खिलाने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
हलहारिणी अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस अमावस्या को भगवान शिव विशेष वरदान देते हैं। आइए जानें राशि अनुसार क्या पूजन करें...
 
मेष- शिवजी को गुड़ चढ़ाएं।
 
वृष- दही से शिव का अभिषेक करें।
 
मिथुन- गन्ने के रस से शिव का अभिषेक करें।
 
कर्क- कच्चे दूध और पानी से शिव का अभिषेक करें।
 
सिंह- शिव को खीर का भोग लगाएं।
 
कन्या- भगवान शंकर को बिल्व पत्र चढ़ाएं।
 
तुला- कच्चे दूध से शिव का अभिषेक करें।
 
धनु- पंचामृत से शिव का अभिषेक करें।
 
वृश्चिक- शिव को गुलाब के फूल च़ढ़ाएं।
 
मकर- शिव को नारियल का जल चढ़ाएं।
 
कुंभ- शिवजी का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
 
मीन- केसर युक्त दूध से शिव का अभिषेक करें।
6 काम जरूर करें-
 
1. हलहारिणी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठ कर ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी या तीर्थ में स्नान करें।
 
2. सूर्य उदय होने के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
 
3. इस दिन पितृ तर्पण करें। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
 
4. आटे की गोलियां बनाएं बनाकर किसी तालाब या नदी में मछलियों अथवा अन्य जीव-जंतुओं को खिलाएं। 
 
5. गरीब या जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
 
6. ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दक्षिणा अथवा सीदा दें।  
 हलहारिणी अमावस्या (Halharini Amavasya 2022) 28 जून, मंगलवार को है। इसके दूसरे दिन भी अमावस्या रहेगी, जो स्नान दान अमावस्या कहलाएगी। इस तरह आषाढ़ में 2 अमावस्या का योग बन रहा है। हलहारिणी अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि इसे कृषि से जोड़कर देखा जाता है। 
 
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि  28 जून, मंगलवार की सुबह 05:53 से शुरू होकर 29 जून, बुधवार की सुबह 08:23 तक रहेगी। 
 
हलहारिणी अमावस्या का महत्व (Significance of Halahari Amavasya)
आषाढ़ी अमावस्या वर्षा ऋतु के दौरान आती है। इस दिन हल और खेती के अन्य उपकरणों की पूजा करने की भी परंपरा है। इसलिए इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। ज्योतिष के नजरिये से इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं। ज्योतिष में सूर्य को धर्म-कर्म का स्वामी बताया गया है और चंद्रमा को मन का। इसलिए इस दिन किए गए धार्मिक कामों से आध्यात्मिक शक्ति और बढ़ जाती है। अमावस्या को महत्वपूर्ण खरीदी-बिक्री और हर तरह के मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस तिथि में पूजा पाठ और स्नान-दान का विशेष महत्व है। 
 
आषाढ़ी अमावस्या पर पितृ तर्पण का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष वे यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय या श्राद्ध आदि करें तो उनकी परेशानियां दूर हो सकती हैं। अगर ये उपाय भी कोई न कर पाएं तो सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान कर पितरों के निमित्त जल दान करना चाहिए। ये भी पितृ दोष का आसान उपाय है। यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है। अत: पितृ कर्म के लिए यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है।
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