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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 2 जुलाई 2025 (16:55 IST)

गुप्त नवरात्रि की अष्टमी को कब होगी संधि पूजा, जानिए कैसे करें पारण

Durga Ashtami 2025 date
Durga Ashtami and Sandhi Puja rituals: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि को संधि पूजा का विशेष महत्व होता है। यह पूजा अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के शुरुआती 24 मिनट, कुल 48 मिनट के दौरान की जाती है। यह वह समय होता है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि का आरंभ होता है, जिसे अत्यधिक शुभ और शक्ति से भरा हुआ माना जाता है। अष्टमी तिथि पर दुर्गा देवी और महागौरी की पूजा संपन्न की जाती है।ALSO READ: देवशयनी एकादशी की पौराणिक कथा

आइए यहां जानते हैं नवरात्रि के 8वें दिन संधि पूजा का समय कौनसा है...
 
गुप्त नवरात्रि की अष्टमी और संधि पूजा (2025):
 
- इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी 3 जुलाई 2025, गुरुवार को मनाई जा रही है। अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 जुलाई 2025, बुधवार, सुबह 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 3 जुलाई 2025, गुरुवार, दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी। 
- मान्यता के अनुसार संधि पूजा अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के शुरुआती 24 मिनट में होती है। अत: इस अवसर पर संधि पूजा का समय निम्नानुसार रहेगा।  
• अष्टमी समाप्ति का समय: 3 जुलाई 2025, गुरुवार, दोपहर 02 बजकर 06 मिनट
• इसलिए, संधि पूजा का समय 3 जुलाई 2025 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से दोपहर 02 बजकर 30 मिनट के बीच रहेगा। 
- इस समय में मां दुर्गा के चामुंडा स्वरूप की पूजा की जाती है और माना जाता है कि इस दौरान की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।ALSO READ: गुप्त नवरात्रि की अष्टमी को करें ये 5 कार्य, जानिए महत्व
 
गुप्त नवरात्रि की अष्टमी को पारण कैसे करें? आइए जानते हैं...
जो भक्त नवरात्रि के 9 दिनों का उपवास रखते हैं, वे नवमी तिथि को पूजा-पाठ, कन्या पूजन और हवन के बाद व्रत का पारण करते हैं।
वर्ष 2025 में गुप्त नवरात्रि का पारण 4 जुलाई 2025, शुक्रवार को होगा।
 
पारण करने की विधि इस प्रकार है:
1. पारण और पूजन: नवमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। उन्हें फूल, धूप, दीप, फल और नैवेद्य- जैसे खीर, हलवा, पूड़ी, चना अर्पित करें।
 
2. हवन: नवमी पर हवन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हवन में दुर्गा सप्तशती के मंत्रों या नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' की आहुतियां दें। हवन की पूर्णाहुति के बाद आरती करें।
 
3. कन्या पूजन: कन्या पूजन पारण का एक अनिवार्य हिस्सा है। 9 छोटी कन्याओं, जिनकी आयु 2 से 10 वर्ष के बीच हो और एक बालक, जिन्हें बटुक भैरव का रूप माना जाता है, को अपने घर पर आमंत्रित करें। उनके पैर धोकर, उन्हें साफ आसन पर बिठाएं। उन्हें श्रद्धापूर्वक जैसे- पूड़ी, चना और हलवा का भोजन कराएं। भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा और सामर्थ्य अनुसार छोटे उपहार दें। उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
 
4. व्रत का पारण: कन्या पूजन और ब्राह्मण भोजन यदि आप करा रहे हैं तो उनके बाद, स्वयं भी सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें। पारण में अन्न ग्रहण किया जाता है। आमतौर पर, वही भोजन खाया जाता है जो कन्याओं को परोसा जाता है जैसे पूड़ी, हलवा, चना आदि। साथ ही व्रत खोलने से पहले, मां दुर्गा से अपनी साधना में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें और उनका आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना करें।
 
गुप्त नवरात्रि में इस प्रकार, संधि पूजा और पारण विधि-विधान से करने पर गुप्त नवरात्रि की साधना का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
 
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