बुधवार, 16 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. हिन्दू नववर्ष की 5 खास बातें जानिए
Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Modified: शनिवार, 10 अप्रैल 2021 (11:42 IST)

हिन्दू नववर्ष की 5 खास बातें जानिए

Hindu New Year
58 ईसा पूर्व राजा विक्रमादित्य ने खगोलविदों की मदद से पूर्व प्रचलित कैलेंडर और हिन्दू पंचांग पर आधारित एक कैलेंडर को इजाद करवाया जिसे बाद में विक्रमादित्य संवत कहा जाने लगा। यही हिन्दुओं का सबसे शुद्ध कैलेंडर माना जाता है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। संवत्सर के पांच प्रकार हैं सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास। विक्रम संवत में सभी का समावेश है। आओ जानते हैं हिन्दू नववर्ष की 5 खास बातें।
 
1. हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा गुड़ी पड़वा से होता है। इस नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग अलग नाम से पुकारा जाता है परंतु है यह नवसंवत्सर। गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है। 
 
2. इसी कैलेंडर से 12 माह और 7 दिवस बने हैं। 12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।
 
3. चैत्र माह से ही पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती है। इस धारणा का प्रचलन विश्व के प्रत्येक देश में आज भी जारी है। आज भी भारत में चैत्र माह में बहिखाते नए किए जाते हैं। ब्रह्म पुराण अनुसार ब्रह्मा ने इस दिन सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ भी होता है। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी।
 
4. वैसे तो नववर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकम से ही प्रारंभ हो जाता है। इसीलिए भी चैत्र माह की एकम को धुलेंडी पर्व मनाया जाता है। परंतु जब चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का प्रथम दिवस जिसे प्रतिपदा कहते हैं आता है तभी से नववर्ष मनाने का प्रचलन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार इसी दिन से चैत्री पंचांग का आरम्भ माना जाता है, क्योंकि चैत्र मास की पूर्णिमा का अंत चित्रा नक्षत्र में होने से इस चैत्र मास को नववर्ष का प्रथम दिन माना जाता है।
 
5. रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रात 12 बजे ही नववर्ष प्रारंभ मान लिया जाता है जो कि वैज्ञानिक नहीं है। दिन और रात को मिलाकर ही एक दिवस पूर्ण होता है। दिवस का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और अगले सूर्योदय तक यह चलता है। सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल मना जाता है।
ये भी पढ़ें
लाल किताब : ऐसे कार्य भूलकर भी ना करें