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Pradosh Vrat 2021 : प्रदोष व्रत क्यों करना चाहिए, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2021 : प्रदोष व्रत क्यों करना चाहिए, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि - Budh Pradosh 2021
आषाढ मास में बुधवार के दिन प्रदोष व्रत आ रहा है। बुधवार के दिन आने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह तिथि 7 जुलाई 2021 पड़ रही है। यदि आपमें ईष्‍ट प्राप्ति की इच्‍छा है तो यह प्रदोष जरूर रखना चाहिए। 
 
महत्व- पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष अथवा त्रयोदशी का व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। सूत जी के कथनानुसार त्रयोदशी का व्रत करने वाले को सौ गाय-दान करने का फल प्राप्त होता है। श्री सूत जी के अनुसार 'बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत' करने से मनुष्य की सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। इस दिन शिव जी की आराधना धूप, बेल पत्र आदि से करनी चाहिए।
 
बुधवार के दिन आने वाले प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है यह शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह जिस भी तरह की मनोकामना लेकर किया जाए उसे भी पूर्ण करता है। 
 
प्रदोष व्रत मुहूर्त- त्रयोदशी तिथि की शुरुआत बुधवार, 07 जुलाई 2021 को रात 01.02 से गुरुवार, 08 जुलाई 2021 रात 03.20 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। प्रदोष काल में पूजा का शुभ समय- शाम 07.12 बजे से 9.20 मिनट तक रहेगा। 
 
बुध प्रदोष व्रत कथा-
 
बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के 2 दिनों बाद उसकी पत्‍नी मायके चली गई। कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्‍नी को लेने उसके यहां गया। बुधवार को जब वह पत्‍नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्‍न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन वह नहीं माना और पत्‍नी के साथ चल पड़ा।
 
नगर के बाहर पहुंचने पर पत्‍नी को प्यास लगी। पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्‍नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्‍नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है। उसको क्रोध आ गया।
 
वह निकट पहुंचा तो उसके आश्‍चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की भांति थी। पत्‍नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। भीड़ इकट्ठी हो गई। सिपाही आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्‍चर्य में पड़ गए।
 
उन्होंने स्त्री से पूछा 'उसका पति कौन है?' वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- 'हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्‍नी को विदा करा लिया। मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा।'
 
जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया। पति-पत्‍नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्‍नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे। अत: बुध त्रयोदशी व्रत हर मनुष्य को करना चाहिए।