पशु-पक्षी देते हैं संकट के संकेत, पढ़ें दिलचस्प आलेख
जीव-जंतुओं में वर्षा, गर्मी, सर्दी, भूकंप, ज्वालामुखी से लेकर भावी घटनाओं के ज्ञान की विलक्षण क्षमता होती है। शीत ऋतु में हजारों किलोमीटर दूर से प्रवासी पक्षियों का पहुंचना, काली घनघोर घटाओं को देखकर स्थानीय पक्षियों में हलचल दिखाई देना, कौए का मनुष्य के घर बैठकर मृत्यु का संकेत देना आदि इसके उदाहरण हैं, जो आज 21वीं सदी के आधुनिक वैज्ञानिकों को जीव-जंतुओं के भविष्य ज्ञान रहस्य को जानने को विवश करती हैं जिनकी आज भी उपग्रह और तकनीक आधारित गणनाएं असत्य निकल रही हैं। मनुष्य की अपेक्षा पक्षी एवं जीव-जंतुओं की इंद्रियां प्रकृतिजनित कारकों के प्रति कई गुना अधिक संवेदनशील व सक्रिय होती हैं। इसके कारण वे वातावरण के परिवर्तन और घटना विशेष के घटने के पूर्व अपना बचाव व व्यवहार परिवर्तन करने लगते हैं।
लाखों-करोड़ों वर्षों से इन जीव-जंतुओं के मध्य रहकर मनुष्य ने अनेक शुभ-अशुभ संकेत का ज्ञान प्राप्त कर लिया है, लेकिन उनके संकेतों के रहस्य का जानना अभी भी शेष है।
चक्रवात, भूकंप, बाढ़, वर्षा आदि आपदाओं का जीव-जंतुओं को पूर्वाभास हो जाता है। चक्रवात, भूकंप आने से पूर्व जीव-जंतु भयवश इधर-उधर घबराते हुए मंडराते हैं। विचित्र आवाजें निकालते हैं, मालिक को उस स्थान को छोड़ने को विवश कराते हैं।इसका एक उदाहरण 26 जनवरी 2001 को भुज (गुजरात) में मिला। जब भूकंप आने से पहले घर में बंधे कुत्ते ने घबराते हुए तेजी से भौंकना, उछलना प्रारंभ कर दिया। लगातार कुत्ते के भौंकने और उछलने की क्रिया जारी रहने पर जब मालिक उसे लेकर घर के बाहर निकला ही था कि कुछ ही पल में उसका मकान भूकंप के झटके में गिर गया।