30 अप्रैल को हुए गुरु-शुक्र अस्त
मांगलिक कार्यों पर डेढ़ माह के लिए विराम
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अप्रैल शाम 7.24 बजे से गुरु अस्त हुए और 1 जून सुबह 7.36 बजे शुक्र अस्त होगा। दोनों का वृद्धत्व काल 3 दिन पूर्व से ही होने से शुभ एवं मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे। गुरु और शुक्र तारे अस्त होने से अब डेढ़ माह के लिए शुभ और मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल को जैसे ही सूर्य देव ने अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश किया था। वैसे ही 14 अप्रैल से शुभ एवं मांगलिक कार्यक्रम प्रारंभ हो गए थे, लेकिन एक बार पुनः 1 माह 15 दिन के लिए इन कार्यक्रमों पर विराम लग जाएगा।ज्योतिषियों के अनुसार नवग्रहों में शुभ कार्यों के कारक देवगुरु बृहस्पति एवं दैत्य गुरु शुक्राचार्य दोनों ही क्रमशः अस्त हो जाएंगे 30 अप्रैल से 27 मई तक गुरु अस्त रहेंगे जबकि 1 से 11 जून तक शुक्र अस्त रहेंगे। गुरु एवं शुक्र के अस्त काल के 3 दिन पूर्व से ही विवाह ,गृह प्रवेश, यज्ञोपवित संस्कार, मूर्ति स्थापना, यज्ञ आदि कार्य बंद हो जाते हैं। इसे गुरु एवं शुक्र का वृद्धत्व काल कहते हैं। 26 अप्रैल विवाह की अंतिम तिथि रहेगी। इसके बाद 12 जून से ही विवाह मुहूर्त प्रारंभ होंगे। हालांकि कतिपय पंचांग गुरु का अस्त 3 मई से 28 मई तक बता रहे हैं लेकिन अधिकांश पंचांग 30 अप्रैल को ही गुरु का तारा अस्त बता रहे हैं। हालांकि कुछ पंचागों में 30 अप्रैल भी विवाह की तिथि बताई गई है।प्रमुख बिंदु * गुरु का मेष राशि में अस्त 30 अप्रैल को शाम 7.24 बजे होगा।* गुरु का उदय वृषभ राशि में 27 मई सुबह 6.21 बजे होगा।* शुक्र का अस्त वृषभ राशि में 1 जून सुबह 7.36 बजे हेगा।* शुक्र का वृषभ राशि में उदय 11 जून सुबह 5.08 बजे होगा। जून में 13 विवाह मुहूर्त पंडितों के अनुसार अब जून माह में 13 दिन विवाह मुहूर्त हैं। ये तिथियां 12, 13, 14, 17, 18, 19, 23, 24, 25, 26, 27,28 और 29 जून है। इसके साथ ही विवाह का 1 अबूझ मुहूर्त 28 जून भड़ली नवमी के रूप में है।तो भी विवाह नहीं ज्योतिषियों ने बताया कि 14 मई 2012 को गुरु अपने शत्रु शुक्र की वृषभ राशि में जाने से 30 मई 2013 तक मिथुन, तुला, कुंभ राशि वाली कन्याओं को 4,8,12वां गुरु होने से इस अवधि में विवाह नहीं हो सकेंगे। देवशयनी एकादशी30
जून को देवता शयन हो जाने से विवाह मुहूर्त 4 माह के लिए बंद रहेंगे।