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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

मंगल का 12 लग्नों पर प्रभाव

मंगल के गोचर का लग्न पर प्रभाव

Tue planets | मंगल का 12 लग्नों पर प्रभाव
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मंगल के बारे में दो प्रकार की अवधारणा है। एक, मंगल मंगलकारी होता है, दूसरा, मंगल काफी अनिष्टकारी भी होता है। मंगल शनि के साथ हो तो भावानुसार उसके परिणाम गंभीर होते हैं। वहीं शुभ ग्रहों के साथ हो तो अतिशुभ फलदायक होता है।

मंगल ने दिनांक 26 से सिंह में प्रवेश किया है जो पिछले 7 माह 16 दिन से अपनी नीच राशि कर्क में था। इस मंगल ने अमंगल ही अधिक किया। हाल ही में मेंगलूर में इस वर्ष की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना व दंतेवाडा़ में नक्सलियों का हमला मंगल के ही परिणाम है। यूँ तो जगह-जगह जमीन घोटालों का सामने आना भी मंगल की ही देन है।

मंगल साहस, ऊर्जा, विस्फोट, आगजनी, युद्ध आदि का कारक है। इन सब पर स्थितिनुसार प्रभाव डालता है। बहुत समय से चली आ रही निम्न स्थिति को तोड़ कर अपने मित्र सूर्य की राशि सिंह में आने से इसके क्या परिणाम होंगे, आइए जानते हैं। मंगल 20 जुलाई को कन्या राशि में प्रवेश कर शनि की युति में रहेगा। लग्नानुसार मंगल के प्रभाव इस प्रकार होंगे।

मेष लग्न : मंगल लग्नेश व अष्टमेश होकर पंचम भाव से भ्रमण करेगा जिसके फलस्वरूप लगभग एक माह बीस दिन में से 25 दिन मेष राशि लग्न वालों के लिए कष्टपूर्ण रहेंगे। इस समयावधि में मानसिक कष्ट, सन्तान बाधा, क्लेश जैसी स्थिति से रूबरू होना पड़ सकता है। इसके बाद 25 दिन कुछ राहत भरे रहेंगे। जिनकी पत्रिका में मंगल शनि से दृष्ट न होगा उन्हीं को लाभ रहेगा। अशुभ फल होने पर रोज प्रातः गुड़ की ढे़ली दाँत से काट कर फेंक दें।

वृषभ- वृषभ लग्न वालों के लिए मंगल द्वादशेश व अष्टमेश होकर चतुर्थ भाव से गोचर भ्रमण करने से अपने जीवनसाथी से लाभ रहेगा व भरपूर सहयोग भी मिलेगा, बाहरी संबंधों से लाभ रहेगा।

मिथुन- मिथुन लग्न वालों को मंगल षष्टेश व एकादशेश होकर तृतीय भाव से गोचर भ्रमण करने से शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे। वहीं कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता भी मिलेगी। आय के साधनों में वृद्धि होगी।

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कर्क- कर्क लग्न वालों के लिए मंगल पंचमेश व दशमेश होकर गोचरीय भ्रमण द्वितीय भाव से भ्रमण करने से आर्थिक लाभ, वाणी का प्रभाव, कुटुम्ब का सहयोग, पिता से लाभ, नौकरी में सफलता व सहयोग, राजनीति से जुड़े व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे।

सिंह- सिंह लग्न वालों के लिए भाग्येश नवम व चतुर्थ का होकर लग्न से भ्रमण करने से प्रभाव में वृद्धि, भाग्य का सहयोग, सुख में वृद्धि, माता से लाभ, जमीन-जायजाद से लाभ रहेगा। जनता से संबंधित कार्य बनेंगे।

कन्या- कन्या लग्न वालों के लिए तृतीयेश व अष्टमेश होकर द्वादश भाव से गोचरीय भ्रमण करने से बहुत परिश्रम करने पर ही सफलता के योग हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा, वाहनादि सावधानी से चलाएँ। बाहरी सम्पर्कों से सहयोग मिल सकता है।

तुला- तुला लग्न वालों के लिए द्वितीयेश व सप्तमेश होकर एकादश भाव से गोचरीय भ्रमण करने से अपने जीवनसाथी का सहयोग व लाभ भी रहेगा। वाणी का प्रभाव भी बढ़ेगा, शेयर से जुडे भी लाभान्वित होंगे।

वृश्चिक- वृश्चिक लग्न वालों के लिए मंगल लग्नेश व षष्टेश होकर दशम भाव से गोचरीय भ्रमण करने से प्रभाव में वृद्धि होगी स्वास्थ्य उत्तम रहेगा, कार्य में सहयोग के साथ लाभ भी रहेगा। शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे।

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धनु- धनु लग्न वालों के लिए मंगल पंचमेश व द्वादशेश होकर नवम भाव से गोचरीय भ्रमण करने से भाग्योदय में वृद्धि, संतान से लाभ, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलती है। यात्रा के योग भी बनते हैं।

मकर- मकर लग्न वालों के लिए सुखेश-चतुर्थ व एकादश भाव का होकर अष्टम भाव से गोचरीय भ्रमण करने से माता को कष्ट, प्रभाव में कमी, भूमि संबंधित मामलों में बाधा रहेगी, वहीं आर्थिक मामलों में भी परेशानी महसूस करेंगे।

कुंभ- कुंभ लग्न वालों के लिए तृतीयेश व दशमेश होकर सप्तम भाव से भ्रमण करने के कारण व्यापार-व्यवसाय में उन्नति, पिता का सहयोग, नौकरीपेशा लाभान्वित होंगे। पराक्रम में भी वृद्धि होगी, शत्रु-पक्ष प्रभावहीन होंगे साथ ही जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा।

मीन- मीन लग्न वालों के लिए मंगल द्वितीय नवम का होकर षष्ट भाव से भ्रमण करने से भाग्य में वृद्धि, शत्रु प्रभावहीन कर्ज से मुक्त या कम हो, आर्थिक बचत, वाणी का प्रभाव बढ़ेगा, पारिवारिक सहयोग भी मिलेगा।