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Last Updated : बुधवार, 4 अक्टूबर 2023 (15:42 IST)

Asian Games में गोल्ड जीतने वाली अन्नू रानी के किसान पिता नहीं थे भाला फेंक से खुश, चुपचाप गन्ने से किया था अभ्यास

Asian Games में गोल्ड जीतने वाली अन्नू रानी के किसान पिता नहीं थे भाला फेंक से खुश, चुपचाप गन्ने से किया था अभ्यास - Peasent Father of Annu Rani was skeptical about javelin throw as career
पूरे सत्र में खराब फॉर्म से जूझने वाली मेरठ की 31 साल की अनु अपने चौथे प्रयास में 62.92 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।अनु का एशियाई खेलों का यह दूसरा पदक है। उन्होंने 2014 में कांस्य पदक जीता था।

श्रीलंका की नदीशा दिल्हान और चीन की हुइहुइ ल्यु ने क्रमश: 61.57 मीटर और 61.29 मीटर के प्रयास के साथ रजत और कांस्य पदक जीते।

अनु ने कहा, ‘‘मैं पूरे साल कोशिश कर रही थी लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रही थी। मैं उदास और दबाव महसूस कर रही थी क्योंकि सरकार ने मुझे ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने में बहुत पैसा खर्च किया।’’उन्होंने कहा, ‘‘यह सत्र की मेरी आखिरी प्रतियोगिता थी और मैंने हार नहीं मानी। इसलिए मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की ठान ली थी।’’

उन्होंने खुलासा किया कि कई प्रतियोगिताओं में खराब प्रदर्शन के बाद वह खेल छोड़ने की कगार पर थीं लेकिन उन्होंने खुद को एक मौका देने के लिए ऐसा नहीं करने का फैसला किया।

अनु ने कहा, ‘‘परिवार और देश की अपेक्षाएं थीं। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रही थी। पूरा सूत्र अच्छा नहीं रहा। बीच में मैं 54 मीटर का थ्रो भी कर रही थी और मैंने सोचा कि अगर मैं इतना बुरा कर रही हूं, तो मैं खेल छोड़ दूंगी। लेकिन मैंने खुद से कहा कि मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगी और अंत तक लड़ूंगी।”

अनु रानी के पिता कभी बिटिया के भाला फेंक से नाता जुड़ने से नहीं थे खुश

उत्तर प्रदेश के मेरठ से सटे सरधना के बहादुरपुर गांव निवासी एथलीट अनु रानी ने आज भाला फेंक में भारत के लिए जैसे ही स्वर्ण पदक जीता उनके परिजन और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनु रानी के शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें बधाई दी हैं ।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर आदित्यनाथ ने अंग्रेजी में लिखे एक संदेश में कहा,”बधाई हो, अनु आपके अद्भुत गोल्डन थ्रो पर! आपका 62.92 मीटर का थ्रो शानदार था, जो आपकी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। आपकी उपलब्धियाँ हम सभी को प्रेरित करती हैं। जय हिन्द!”

किसान परिवार की अनु बचपन से ही इसमें अपना करियर बनाना चाहती थी, लेकिन उनके पिता इसके लिए राजी नहीं थे। हालांकि, उन्होंने पिता को मनाना जारी रखा था।

अनु के पिता अमरपाल सिंह ने ‘PTI-भाषा’ से कहा ‘‘हम बहुत छोटे से किसान है। मेरे दो बेटे और तीन बेटियां हैं। इनमें अनु(28) सबसे छोटी है। सबसे बड़ा बेटा उपेन्द्र है। छोटा बेटा जितेन्द्र है। बेटी रीतू, नीतू और अनु रानी हैं।’’

 बिटिया का भाले से नाता कब जुड़ा यह पूछने पर अमरपाल सिंह बताते हैं- ‘‘बड़े भाई उपेंद्र और अपने चचेरे भाइयों को देखकर अनु का इस तरफ झुकाव हुआ उस समय वह नौंवी कक्षा में पढ़ती थी। बड़ा भाई उपेन्द्र उस समय यूनिवर्सिटी स्तर पर दौड़ और भाला फेंक में हिस्सा लेता था। उन्हें अपनी बहन के थ्रो में कुछ ख़ास लगा। उन्हें लगा कि अनु भी भाला फेंक सकती है।’’

उन्होंने बताया कि बेटे ने घर आकर मुझे इसके बारे में बताया तो ‘‘मैंने इनकार कर दिया। कहा- बेटी है, अकेली कहां जाएगी? इसके खेल और खुराक का खर्चा कैसे उठाएंगे? क्योंकि हम बहुत छोटे किसान हैं। गांव में हमारे पास थोड़ी बहुत ही जमीन है। उस समय उपेंद्र 1500, 800, 400, पांच हज़ार मीटर की दौड़ और भाला फेंक का खिलाड़ी था।’’
अमरपाल कहते हैं ‘‘मेरे मना करने के बाद भी मेरा बेटा उपेन्द्र अपनी बहन को चोरी-छिपे सुबह-सुबह अपने साथ खेतों में ले जाता और गन्ने का भाला बनाकर उससे अभ्यास कराता। अनु के पास अच्छे जूते नहीं थे, तो वह भाई के जूते पहनकर दौड़ती। दोनों के पैरों का साइज एक था। यह अनु की खेल प्रतिभा है कि उसने आज न सिर्फ परिवार और अपने गांव का बल्कि देश का नाम पूरी दुनिया में कर दिया।’’

अमरपाल कहते हैं,बाद में स्कूल के शिक्षकों ने भी बिटिया की प्रतिभा का जिक्र करते हुए उसकी सिफारिश की, जिसके बाद उन्हें बेटी की बात माननी पड़ी।

बकौल अमरपाल सिंह ‘‘ मुझे गांव के लोगों से जब बेटी की आज की कामयाबी का पता चला तो मैं बता नहीं सकता कि कि मुझे कितनी खुशी हुई। इसी के साथ अपनी बेटी की प्रतिभा पर गर्व हुआ।’’

अमरपाल कहते हैं ‘‘मुझे तो पहले यह डर था कि बेटी को खेलने के लिए दूर-दूर जाना पड़ेगा। लेकिन,देखिए अब वही बेटी अपने खेल की बदौलत इतना दूर निकल आई कि चीन के हांगझोउ शहर में खेले जा रहे एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत लिया।’’