बागी उम्मीदवारों के मैदान में आने तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता केशुभाई पटेल के चुनाव प्रचार करने से इंकार करने के बाद जूनागढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
अपने शानदार इतिहास और मछली के कारोबार के लिए विख्यात इस जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को छह तथा कांग्रेस को चार सीटें मिली थीं। उस समय केशुभाई ने सक्रिय तरीके से पार्टी के लिए प्रचार किया था। हालाँकि इस बार बागी उम्मीदवारों की उपस्थिति तथा केशुभाई के प्रचार अभियान से अलग रहने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
भाजपा से अलग होने वाले अनेक नेता इन निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं।
जूनागढ़ शहरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के मौजूदा विधायक महेंद्र मशरू ने कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को वर्ष 2002 में 21 हजार मतों से करारी शिकस्त दी थी। लेकिन इस बार वे न सिर्फ कांग्रेस से, बल्कि अपनी ही पार्टी के बागी उम्मीदवार मार्कंडभाई भट्ट से भी मुकाबला करेंगे।