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नश्तर इन्दौरी
मैं तो समझ गया मेरे क़ातिल की आरज़ूऎ काश वो समझ ले मेरे दिल की आरज़ू जलवा दिखा के मुझको न हैराँ बनाइएबरबाद कीजिए न मेरे दिल की आरज़ू जिस दिल पे मुझको नाज़ था वो दिल ही मिट गया बरबाद दिल के साथ हुई दिल की आरज़ू मैं कुछ अगर कहूँ तो वो गुज़रेगा नागवार तुम अपने दिल से पूछो मेरे दिल की आरज़ू हर आरज़ू है एक नई आरज़ू के साथ पूरी कभी न होगी मेरे दिल की आरज़ू जिस आदमी के दिल में कोई आरज़ू न हो वो क्या समझ सकेगा मेरे दिल की आरज़ू हैरान हो रहा हूँ के अब उनसे क्या कहूँनश्तर वो पूछते हैं मेरे दिल की 2.
ख़बर भी है तुझे हुस्न-ए-सरापा देखने वाले निगाहें ख़ीरा हो जाएँगी जलवा देखने वालेहक़ीक़त को समझ परदे की परदा देखने वालेइसी परदे में है जलवा भी जलवा देखने वाले नज़र ख़ीरा है, दिल हैरान और चेहेरा है पज़मरदानिराले हाल में हैं उनका जलवा देखने वाले नज़र में ताब,ख़ुद में होश और इदराक पैदा कर सरापा ज़ौक़ बनजा शान-ए-जलवा देखने वाले मेरी नज़रों में पोशीदा तजल्ली गाह-ए-आलम है मेरी नज़रों के जलवे देख जलवा देखने वाले नज़र में जज़्ब करना सीखले जलवों की ताबिश को तू जलवा जलवा क्या करता है जलवा देखने वाले उन्हें अन्दाज़ा-ए-ताबे नज़र होजाए ऎ नश्तरजो जलवागाह तक आजाएँ जलवा देखने वाले