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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 2 अक्टूबर 2010 (22:26 IST)

खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं विजेंदर

खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं विजेंदर -
शीर्ष भारतीय मुक्केबाज विजेंदरसिंह का कहना है कि कॉमनवेल्थ खेलों में घरेलू परिस्थितियों में उन पर उम्मीद का बोझ नहीं होगा क्योंकि वे खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।

ओलिंपिक में काँस्य पदक विजेता मुक्केबाज ने जब पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक जीता था तब वे बहुत ज्यादा सुखिर्यों में नहीं रहे थे, लेकिन चार साल में सब कुछ बदल गया है और अब वे इन खेलों के ब्रांड एंबेसडर हैं।

विजेंदर ने कहा कि मेरा सफलता मंत्र यह है कि मैं खुद को सर्वश्रेष्ठ मानता हूँ। जब मैं रिंग में उतरता हूँ तो मुझे जीत का पूरा भरोसा होता है और आपका विश्वास ही अहम होता है। उन्होंने कहा कि मेलबोर्न खेलों के सेमीफाइनल में उन्होंने इंग्लैंड के मुक्केबाज नील पार्क्स को अपने भरोसे के बलबूते पर हराया था।

विजेंदर ने कहा कि बाउट से पहले उसने (नील) ने कई बड़े दावे किए थे क्योंकि वे सोचते थे कि वे मुझसे बेहतर हैं, लेकिन मैं जानता था कि मैं उसे हरा सकता हूँ। इस भरोसे से मुझे मदद मिली और मैंने उसे हरा दिया और वह भी 22-14 से हराया।

विजेंदर हालाँकि फाइनल मुकाबले में हार गए, लेकिन उनका रजत पदक बहुत ज्यादा सुखिर्यों में नहीं रहा लेकिन अब वह घरेलू दर्शकों के सामने शानदार प्रदर्शन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू मैदान पर मुकाबला बहुत प्रेरित करता है। ऐसे माहौल में आपके अपने लोग आपकी जीत पर खुशी मना रहे होते हैं। हाँ, दबाव तो होता है, लेकिन हमें इससे उबरना होता है। (भाषा)