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Written By WD

शेयर बाजार लगातार गिरेगा

बाजार मनाएगा ब्लैक फ्राइडे या ब्लैक मंडे

शेयर बाजार लगातार गिरेगा -
वेबदुनिया न्यू
गुरुवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए एक और बुरा कारोबारी दिन साबित हुआ। कारोबार की समाप्ति के समय सेंसेक्स 600 से ज्यादा अंक नीचे और निफ्टी 190 अंक नीचे जाकर बंद हुआ है।

एस्ट्रोदुनिया डॉट कॉम के सीईओ राजीव प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि यह तो शुरुआत है, संभावना है कि बाजार अभी 13 हजार के आँकड़े तक नीचे जाएगा। राजीव के अनुसार यदि मेरी गणना ठीक रही तो बाजार इस शुक्रवार को 'ब्लैक फ्राइडे' या सोमवार को 'ब्लैक मंडे' बना सकता है...इन दोनों दिनों में बड़ी गिरावटें होंगी। सर्किट लग सकता है अर्थात् बाजार को बीच में बंद भी करना पड़ सकता है।

राजीव का कहना है कि इस साल नौ जनवरी को मंगल मिथुन राशि में प्रवेश करके और वक्रीय होकर तुला नवांश में गया। मंगल जब भी मिथुन में रहते हुए तुला नवांश से गुजरता है तो पूरे विश्व बाजार में आर्थिक मंदी का कारण बनता है। केतन पारिख और हर्षद मेहता कांड के समय भी मंगल तुला नवांश से ही गुजर रहा था। यह योग आगामी 23 फरवरी तक रहेगा, तब तक भारतीय शेयर बाजार में आर्थिक मंदी लाएगा।

उन्होंने कहा कि मैंने पिछले दस साल के बाजार के उतार-चढ़ाव पर रिसर्च किया है। आप ही बताइए पिछले साल भारत ने ऐसी क्या तरक्की कर ली कि कंपनी के शेयरों की कीमत हर दूसरे दिन 20 प्रतिशत तक बढ़ने लगी। यह सब ग्रहों का खेल था।

2007 में शनि ने अपनी चाल का कमाल दिखाया। वहीं वृश्चिक राशि में गुरू, मीन राशि में राहु और फिर कुंभ राशि में राहु के आ जाने के बाद जो संयुक्त युति बनी, इससे शेयर बाजार ने नाटकीय रूप से तेजड़िया देखा। फिर से इंडिया में इंडिया शाइनिंग की नकली धूम मच गई, लेकिन फिर ग्रहों ने अपनी स्थिति बदली। नंवबर 2007 से गुरु ने धनु राशि का रुख कर लिया है।

गुरु न्याय प्रधान ग्रह है, इसे धर्मात्मा की उपाधि मिली हुई है। इसलिए यह व्यक्ति और वस्तु को उसके वास्तविक रूप में सामने लाता है। यही कारण है कि बाजार की सट्टेबाजी खत्म होने लगी है और बाजार अपने मूल रूप में लौट रहा है। भारतीय बाजार की मूल क्षमता अभी 12हजार से 14 हजार के बीच ही है।

इस बार का बजट भी बाजार में खासी बढ़त नहीं कर पाएगा। बजट पेश होने के दौरान 24 फरवरी से 6 मार्च के बीच बाजार की स्थिति में कुछ सुधार होगा लेकिन यह अस्थायी होगा। 6 मार्च के बीतते ही बाजार फिर टूटने लगेगा। 21 फरवरी को पड़ने वाले चंद्रग्रहण का भी बाजार पर बुरा असर होगा। यह ग्रहण भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों पर ही बुरा असर डालेगा।

इस साल बाजार अठारह हजार के आँकड़े से आगे नहीं बढ़ पाएगा। बाजार में जो भी बढ़त होगी वह अवास्तविक होगी। कुछ दिन तेजी देखने के बाद बाजार का रुख बार-बार मंदी की ओर मुड़ जाएगा। 21 फरवरी के बाद 18 मार्च से बाजार में कुछ तेजी आएगी। फिर अप्रैल के पहले हफ्ते बीतने के बाद बाजार मंदी का रुख कर लेगा। कुल मिलाकर पूरे वर्ष में तेजी नहीं होगी। आने वाले दो माह के भीतर बाजार तेरह हजार से नीचे भी जा सकता है।

अमेरिकी बाजार का रुख भी लगातार नीचे की ओर रहेगा। चूँकि भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों के भरोसे चल रहा है। इसलिए इस साल पिछले साल की तरह चमत्कारिक बढ़त की उम्मीद लगाना बेमानी है। अब बाजार में पिछले साल की तरह चमत्कारिक बढ़त नंवबर 2009 में ही संभव है।

अगले कुछ सप्ताहों में बाजार ही नहीं, बल्कि सोने की कीमत में भी तेज गिरावट की आशंका है। सोना जल्द ही दस हजार से भी कम हो जाएगा, वहीं ताँबे की कीमत में भी तेजी से गिरावट होगा।

राजीव प्रकाश की गणना के अनुसार इस साल महँगाई काफी बढ़ेगी। सोना सस्ता होगा लेकिन आम जरूरतों की वस्तुओं की कीमत आसमान पर होंगी। आम भारतीय उपभोक्ता जो बाजार की चमक-दमक से प्रभावित होकर अपनी जमापूँजी लेकर बाजार में कूदा था, उसे इस साल निराशा ही हासिल होगी।
(यह ज्योतिषाचार्य की व्यक्तिगत राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी)