मेरी प्रतीक्षा है मेरा स्वप्न
प्रेमरंजन अनिमेषसब कुछ अच्छा-अच्छासोच कर रखता तुम्हारी अगवानी के लिए पर तुम आतेऔर टूट जाता बाँधबह निकलता जिस तरह हूँ जैसाबुरा न माननाहमेशा के लिएमत रूठनामाफ कर देनाइस बार भरकर सकूँसब सोचासब सही एक अवसर और फिर आना जरूर...-----------
पढ़नापढ़ना चाहता हूँ तुम्हें कहा मैंनेउतने ही पास उतनी ही दूर सेजितने परपढ़े जाते वक्त होती है किताबठीक है...सौंप दिया उसनेखुद को मेरे हाथों में पढ़ते-पढ़ते खो गया समझने मेंसोचते-सोचते जाने कब भरम गई आँखें सो गयाखुली किताबसीने परउलट कर...।