मुझे भूल जाओ
विश्वविख्यात स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता
मैं चाहता हूँ कि तुम यह एक बात जान लोतुम जानती हो कि यह सब कैसे हुआयदि मैं अपनी खिड़की से धीरे-धीरे उतरते वसंत मेंलाल टहनी पर टंगे चमचमाते चाँद की ओर देखता हूँअगर मैं आतिशदान में पड़ी राख को छेड़ता हूँ या कि झुर्रियों में तब्दील हो चुके लट्ठे को हर चीज मुझे तुम्हारी ओर खींचकर ले जाती हैगोया कि हर जो चीज अस्तित्व में है,खुशबू, धूप, धातुएँसब छोटी-छोटी कश्तियाँ हैंजो तैरती हुई तुम्हारे उस द्वीप की ओर जाती हैंजो मेरा इंतजार कर रहा है।चलो अब अगर तुम थोड़ा-थोड़ा करके मुझे प्रेम करना बंद कर रही होतो मुझे भी तुम्हे थोड़ा-थोड़ा करके प्यार करना बंद कर देना चाहिए।यदि तुम एकाएक मुझे भूल जाओ तो मुझे मत ढूँढनाक्योंकि तब तक मैंने तुम्हें थोड़ा-थोड़ा करके प्यार करना बंद कर दिया है।यदि तुम इस पर गहराई से सोचती हो और पागल हो उठती होमेरी जिंदगी के मकामों से जो हवा गुजरती हैऔर तुम निर्णय लेती हो मुझे दिल के उस तट पर छोड़ देने का,जहाँ मेरी जड़ें जमी हुई हैं।याद रखनाकि उस दिन उस वक्त में मैं अपनी बाहें उठाउँगा और जड़ें उखड़ आएँगीकोई और जमीन तलाशने के लिए।किंतु,यदि हर दिन,हर वक्ततुम सोचती हो कि तुम मेरी नियति हो यदि हर दिन एक फूल तुम्हारे होठों की अतुलनीय मिठास पाने के लिए उमग कर एड़ियाँ उठाता हैओह, मेरे प्यार, मेरे अपने,मेरे अंदर वह पूरी आग फिर दोहराई जा रही हैमुझमें कुछ भी बुझा नहीं है, कुछ भूला नहीं है,मेरी प्रिये, मेरा प्यार तुम्हारे प्यार के दम पर जिंदा है,और जब तक तुम जिंदा रहोगी यह तुम्हारे आगोश में रहेगा,मुझे छोड़े बगैर।