आज का यह दिन तुम्हें दे दिया मैंने आज दिनभर तुम्हारे ही ख्यालों का लगा मेला मन किसी मासूम-बच्चे सा फिरा भटका अकेला आज भी तुम पर भरोसा किया मैंने। आज मेरी पोथियों में शब्द बनकर तुम्हीं दिखे चेतना में उग रहे हैं अर्थ कितने मधुर-तीखे आज अपनी ज़िंदगी को जिया मैंने। आज सारे दिन बिना मौसम घनी बदली रही है सहन-आँगन में उमस की, प्यास की धारा बही है सुबह उठकर नाम जो ले लिया मैंने