झारखंड में फिर राष्ट्रपति शासन के संकेत
शिबू सोरेन नीत सरकार के पतन के बाद कांग्रेस और भाजपा द्वारा वैकल्पिक सरकार के गठन के प्रयास छोड़ने से झारखंड में फिर से राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना आज बढ़ गयी।राज्यपाल एम ओ एच फारूक द्वारा केंद्र को राज्य के हालात के बारे में रिपोर्ट भेजने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि फारूक ने रांची में राज्य की बड़ी पार्टियों के साथ विचार विमर्श के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है।राज्यपाल की रिपोर्ट के बाद कल केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक बुलाई गयी है। शिबू सोरेन ने कल रात मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद राज्यपाल ने केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेजी।24
मई को भाजपा द्वारा समर्थन वापस ले लेने के बाद सोरेन की सरकार अल्पमत में आ गयी थी। भाजपा के 18 तथा सहयोगी दल जदयू के दो विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। 82 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 42 विधायकों की जरूरत है। लोकसभा में 27 अप्रैल को भाजपा द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव की शिबू सोरेन द्वारा मुखालफत किए जाने के बाद भगवा पार्टी ने समर्थन वापसी का निर्णय किया था।कांग्रेस के पास 14 विधायक हैं वहीं इसकी सहयोगी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के पास 11। पार्टी ने कहा कि उसके पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं है।छह वर्षों में छह बार इस्तीफा : झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले शिबू सोरेन उर्फ गुरु जी को कल रात बेआबरू होकर सत्ता के गलियारे से बाहर निकलना शायद ताजिन्दगी सालता रहेगा। लेकिन उनके लिए इस तरह कुर्सी से हाथ धोने का यह कोई पहला मौका नहीं है। उन्होंने तो पिछले छह वर्षों में छह बार किसी न किसी पचड़े में पड़ कर शीर्ष पदों से इस्तीफा दिया है।(भाषा)