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Written By वार्ता

विद्रोहियों पर चलेगा अनुशासन का डंडा

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2013
जयपुर। राजस्थान में आगामी एक दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ दल कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की राह में रोड़ा डालने वाले विद्रोही उम्मीदवारों को समझाने के लिए अनुशासन की तलवार लटकाई जा रही है।

दोनों ही दलों ने विद्रोही उम्मीदवारों को नाम वापस नहीं लेने पर पार्टी से निकालने की चेतावनी दी है। इन दलों के शीर्ष नेताओं का मानना है कि चुनाव मैदान में उतरे विद्रोही उम्मीदवारों के अलावा अन्य छोटे-मोटे नेता भी नेतृत्व पर सवाल खड़े करने से पार्टी की साख कमजोर होती है, लिहाजा ऐसे नेताओं को बयानबाजी से भी बाज आने की हिदायत दी जा रही है।

दोनों ही प्रमुख दल एक-दूसरे के नेता, कार्यकर्ताओं को अपनी तरफ खींचने का भी प्रयास कर रहे हैं। पार्टी छोड़कर जाने वालों को भी वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा से हाल ही में धौलपुर जिले के बसेडी से पूर्व विधायक सुखराम कोली नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतर चुके थे, उन्हें आज वापस भाजपा में शामिल कर लिया है।

इसी तरह बीकानेर में कोलायत विधायक देवीसिंह भाटी ने कांग्रेस के प्रदेश सचिव सलीम भाटी को आज भाजपा मे शामिल कर लिया। कांग्रेस पहले ही भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल गहलोत को पार्टी में शामिल कर बीकानेर शहर से अपना उम्मीदवार बना चुकी है।

कल नाम वापस लेने की आखिरी तारीख होने के कारण दोनों दल विद्रोहियों को समझा रहे हैं। कई ऐसे भी विद्रोही उम्मीदवार हैं जो खुद की पार्टी के बजाय विपक्षी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे विद्रोही उम्मीदवारों को फायदे का माना जा रहा है। (वार्ता)