महारानी को सता रहा है गुर्जरों का भय
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आनंद चौधरी, जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आंदोलन समाप्त होने के पांच महीने बाद भी गुर्जरों से भयभीत हैं। राजस्थान में पुनः सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा गुर्जरों से किस कदर भयग्रस्त है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुर्जर बाहुल्य पांच जिलों में मुख्यमंत्री एक भी बड़ी चुनावी सभा नहीं कर पाई हैं। मुख्यमंत्री और प्रदेश के आला भाजपा नेता गुर्जर बाहुल्य भरतपुर, करौली, दौसा और सवाई माधोपुर जिलों में अब तक एक भी चुनावी सभा में शिरकत नहीं कर पाए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा को सबसे बड़ा खमियाजा भी इसी क्षेत्र में उठाना होगा। हालांकि इन जिलों के दौरे के लिए मुख्यमंत्री पिछले दो माह से कार्यक्रम तो बना रही थी, लेकिन ऐन वक्त पर किसी न किसी कारण से ये कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। राजस्थान में चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद भी मुख्यमंत्री ने इन जिलों में चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए कई बार कार्यक्रम बनाया, लेकिन गुर्जरों के भय के कारण उसे आखिरी समय में स्थगित करना पड़ा। भरतपुर संभाग के अलावा मुख्यमंत्री राज्य के सभी जिलों में चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं जोधपुर और उदयपुर संभाग की हैं।गुर्जर आंदोलन की समाप्ति की बाद भाजपा ने भरतपुर के सांसद विश्वेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का राजनीतिक सलाहकार बनाकर गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में घुसपैठ की योजना बनाई थी। विश्वेंद्र सिंह भरतपुर संभाग में गुर्जर और जाट मतदाताओं पर मजबूत पक़ड़ रखते हैं। गुर्जर आंदोलन के वक्त भी विश्वेंद्र सिंह ने गुर्जरों की तरफ से वार्ताकार के रूप में भाग लेने की इच्छा जताई थी जिसे राजनीतिक टकराव के चलते मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नकार दिया था। इसके बाद विश्वेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को खुली चुनौती देते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसके बाद विश्वेंद्र सिंह को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें अपना सलाहकार बना लिया था मगर मुख्यमंत्री के साथ विश्वेंद्र सिंह सलाहकार के रूप में तीन माह भी नहीं टिक सके। राज्य सरकार में उद्योग मंत्री डॉ. दिगंबर सिंह को डीग-कुम्हेर से भाजपा उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज विश्वेंद्र सिंह ने भाजपा छो़ड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। विश्वेंद्र सिंह के जाते ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की इस क्षेत्र में चुनावी सभाओं में भाग लेने की इच्छा ने भी दम तो़ड़ दिया। विश्वेंद्र के अलावा भाजपा के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जो गुर्जर बाहुल्य इन जिलों में मुख्यमंत्री की सभा करवा सके। हालांकि गुर्जरों के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला मुख्यमंत्री के समर्थक माने जाते हैं लेकिन बैंसला जैसे गैर राजनीतिक व्यक्ति के साथ मुख्यमंत्री गुर्जरों के बीच जाने का साहस नहीं जुटा पा रही हैं। वैसे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी इन क्षेत्रों में कई चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।