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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 11 मार्च 2011 (14:43 IST)

मधुमेह बीमारी की ‘राजधानी’ होगा भारत

मधुमेह बीमारी की ‘राजधानी’ होगा भारत -
मधुमेह बीमारी के भयावह तरीके से फैलने के मद्देनजर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि भारत मधुमेह बीमारी की ‘राजधानी’ बनने जा रहा है।

आजाद ने लोकसभा में आज कहा कि इस बीमारी के देश में तेजी से पाँव फैलाने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई विश्व इकाइयों ने चेतावनी दी है लेकिन अब देश इस बीमारी की स्क्रीनिंग और निगरानी के लिए अपनी खुद की व्यवस्था करने जा रहा है।

उन्होंने प्रश्नोत्तर काल में सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया कि कैबिनेट ने एक ऐसी योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है जिसके तहत देशभर में 21 राज्यों में सौ जिलों का चयन किया जाएगा और वहाँ 30 साल से अधिक उम्र के नागरिकों की मधुमेह बीमारी के संबंध में स्क्रीनिंग की जाएगी।

आजाद ने बताया कि इस योजना में हर उम्र की सभी गर्भवती महिलाओं को भी स्क्रीनिंग में शामिल किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार देश के 30 शहरों में भी यही योजना अमल में लाई जाएगी लेकिन इसमें सभी झुग्गी बस्तियों में लोगों की स्क्रीनिंग होगी और इस प्रकार कुल 50 करोड़ लोगों की प्रोफाइल इस वर्ष के अंत तक मंत्रालय के पास उपलब्ध होगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि विश्वभर के किसी भी देश में इस प्रकार की अपने आप में यह पहली योजना होगी।

उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चों में मधुमेह की बीमारी बढ़ रही है और अगले छह माह में देशभर के छह जिलों में स्कूल जाने वाले बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि अगले एक साल में पूरे देशभर में इस योजना पर काम किया जाएगा।

गुलाम नबी आजाद ने इसके साथ ही एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि इस समय स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए कोई स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है। देशभर में सीजीएचएस डिस्पेंसरियों और निजी अस्पतालों में सीजीएचएस डिस्पेंसरियों में केन्द्र सरकार के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इलाज कराने में पेश आ रही दिक्कतों को स्वीकार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सीजीएसएच द्वारा निजी अस्पतालों को समय पर भुगतान नहीं किए जाने के कारण सरकारी कर्मचारियों को वहाँ इलाज कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

लेकिन उन्होंने बताया कि अब इसके लिए एक नई व्यवस्था की गई है जिसके तहत मंत्रालय यूटीआई में अग्रिम राशि जमा कराएगा जिसमें से निजी अस्पतालों को सीजीएचएस योजना के तहत कर्मचारियों का इलाज करने के लिए राशि सीधे हस्तांतरित की जाएगी।

सदस्यों के सवालों के जवाब में आजाद ने देश के किसी हिस्से में नई सीजीएचएस डिस्पेंसरी खोले जाने के प्रस्ताव से इनकार करते हुए कहा कि ऐसी अंतिम डिस्पेंसरी वर्ष 2007 में खोली गई थी।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में पहले ही क्षमता से अधिक काम किया जा चुका है और डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं होने के कारण और अधिक डिस्पेंसरियां खोलने की कोई योजना नहीं है। (भाषा)