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Written By भाषा

बोफोर्स मामले में क्वात्रोच्चि पर फैसला

बोफोर्स मामला
राजनीतिक हलकों में हलचल मचाने वाले लगभग दो दशक पुराने बोफोर्स मामले में इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के भाग्य का फैसला दिल्ली की एक अदालत सोमवार को तय करेगी।

सीबीआई ने 70 वर्षीय क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने की याचिका दायर की थी, जिस पर मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विनोद यादव कल अपना फैसला सुनाएँगे। क्वात्रोच्चि अब तक भारत की किसी भी अदालत में पेश नहीं हुए हैं। सीबीआई ने अक्टूबर 2009 में अदालत से क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने की अनुमति माँगी थी।

सीबीआई ने दो बार उसके प्रत्यर्पण की कोशिश की, लेकिन दोनों बार असफल रही। क्वात्रोच्ची के खिलाफ दायर आरोप-पत्र में कहा गया है कि उसने कथित तौर पर बोफोर्स समझौते की दलाली में मुनाफा कमाया।

सीबीआई ने 1986 के बोफोर्स समझौते में मुनाफा कमाने वालों की जाँच के लिए 20 जनवरी, 1990 को एक आपराधिक मामला दायर किया। जाँच पूरी करने के बाद, एजेंसी ने इस मामले में दो आरोप-पत्र दायर किए।

सीबीआई ने तर्क दिया कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के आदेश के बाद भी क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने के सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। इस फैसले में कहा गया था कि होवित्जर तोप समझौते में दिवंगत विन चड्ढ़ा और क्वात्रोच्ची को 61 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई।

सीबीआई ने मामला वापस लेने के लिए दिए गए नौ पृष्ठों के अपने आवेदन में कहा था, ‘क्वात्रोच्चि के खिलाफ मुकदमा जारी रखना न्यायसंगत नहीं होगा।’

उच्चतम न्यायालय में इस मामले को आगे बढ़ा रहे वकील अजय अग्रवाल ने मामले को बंद करने की सीबीआई की याचिका के खिलाफ निचली अदालत में दस्तक दी है । अग्रवाल ने अदालत में तर्क दिया कि केंद्र और एजेंसी क्वात्रोच्चि के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद इस मामले को बंद करने का प्रयास कर रही है।

सीबीआई ने अग्रवाल की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि क्वात्रोच्चि को मुकदमे के लिए पेश कराया जाना कठिन है। इसके अलावा अन्य सभी आरोपी या तो मर चुके हैं या उनके खिलाफ आरोप दिल्ली उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिए हैं। (भाषा)