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Written By ND
Last Modified: मलकानगिरी , मंगलवार, 7 अप्रैल 2009 (11:12 IST)

नेता अब नक्सलियों की शरण में

नेता अब नक्सलियों की शरण में -
बैलेट के बदले बुलेट के नक्सली फरमान ने यहाँ आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लड़ रहे प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों एवं समर्थकों की रातों की नींद हराम कर रखी है।

जिला मुख्यालय को छोड़ ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों के अनुमति बगैर यहाँ पत्ते भी नहीं हिलते और उनके समर्थन के बगैर रास्ते में चलना भी मुश्किल है इसलिए विभिन्न दल के उम्मीदवार और उनके समर्थक वोटरों को छोड़ अब नक्सलियों के पीछे दौड़ रहे हैं क्योंकि जिसे उनका समर्थन मिलेगा उसक जीत तय मानी जा रही है।

देश के सर्वाधिक पिछड़े हुए जिले में शुमार मलकानगिरी जिले के प्रति केंद्र व राज्य सरकार की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर प्रचार करने वाले विभिन्न दलों के उम्मीदवार इस बार नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार एवं प्रचार न करने के आदेश का मन मसोस कर पालन कर रहे हैं।

जिले के कोरूकोण्डा, पड़िया, चित्रकोण्डा आदि ब्लाकों में नक्सली भय के कारण चुनाव प्रचार प्रारंभ नहीं हो पाया है। इन परिस्थितियों में आपसी प्रतिद्वंवदिता करने वाले उम्मीदवार मतदाताओं को लुभाना छोड़ नक्सल समर्थित नेताओं से संपर्क साधकर चुनावी वैतरणी को पार करने की कोशिशों में जुटे हैं।

जिला पुलिस एवं प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बावजूद इन बातों को नजरअंदाज कर किस प्रकार चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण संपन्न हो वह इस सोच में है। जिले की 80 प्रतिशत आबादी आदिवासी व हरिजनों की है। जिले में चित्रकोण्डा व मलकानगिरी दो आदिवासी आरक्षित विधानसभा सीट है। वहीं नवरंगपुर लोकसभा सीट के लिए जिले के मतदाता वोट डालेंगे।