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Written By ND
Last Modified: शहडोल , शनिवार, 21 मार्च 2009 (12:01 IST)

आदिवासी गाँवों में नहीं बने हर्बल होम गार्डन

झूठे आँकड़े बताकर दिखाया गया विकास

आदिवासी गाँवों में नहीं बने हर्बल होम गार्डन -
झूठे आँकड़े प्रस्तुत कर योजनाओं का कैसे माखौल उड़ाया जाता है इसका उदाहरण आदिवासी गाँवों में हर्बल होम गार्डन विकसित करने की योजना में सामने आया है।

इस योजना से जिले में एक भी आदिवासी गरीब परिवार को नहीं जोड़ा गया और सरकारी रिकार्डों में यह बता दिया गया है कि शहडोल जिले में आदिवासी हर्बल होम गार्डन योजना से लोगों को जोड़ा गया है।

मजेदार बात यह है कि मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका परियोजना की पहल पर जिले के सुदूर गाँवों में गरीब आदिवासी परिवारों को घरों में औषधीय महत्व के पौधे लगाने के लिए प्रेरित करने की बात भी सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं लेकिन वास्तविकता बिलकुल हटके है। आजीविका परियोजना के अधिकारी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उनके जिले में कहीं हर्बल होम गार्डन विकसित करने के लिए काम किया गया है।

सरकारी रिकॉर्ड में यह बताया गया है कि आजीविका परियोजना की पहल पर शहडोल, अनूपपुर, डिण्डौरी, बड़वानी, झाबुआ, धार, मण्डला और श्योपुर के सुदूर गाँवों में 5 हजार से ज्यादा हर्बल होम गार्डन विकसित किए गए हैं। आदिवासी गरीब परिवारों को उनके घरों में औषधी महत्व के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया गया है।

क्या है योजना : जैव विविधता के सरंक्षण को बढ़ावा देने के साथ जड़ी बूटियों से इलाज करने के पारम्परिक ज्ञान का पोषण करने के उद्देश्य से सुदूर आदिवासी गाँवों में इस योजना को लागू किया गया है।

खासकर उन आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ बहुतायत जंगल हैं और वन औषधियाँ पाई जाती हैं वहाँ इस योजना को प्रमुखता से लागू करना था। यह पहल संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम की एक परियोजना के अंतर्गत की गई है।