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Written By WD

घातक हैं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर

नम्रता नदीम

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर
एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स को लेकर कई बातें मानी हुई हैं, लेकिन इन सबके उपर एक बड़ा सच यह है कि इनकी शुरुआत धोखे से होती है, इसलिए इस तरह के रिश्तों में भी विश्वास पनपना बहुत मुश्किल मामला हुआ करता है।

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यह सही है कि शादीशुदा जीवन की एकरसता को एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर तोड़ते हैं, लेकिन यह उससे भी बड़ा सच है कि ऐसी शादियों में भी अंततः एकरसता तो आती ही है, और इसमें जुड़ जाता है पिछले रिश्ते से दगा करने का एहसास और अविश्वास भी... फिर ये रिश्ते बहुत मुश्किल हो जाते हैं।

एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर के संबंध में ये मिथ आम है कि वह मुझे हमेशा से प्रेम करता है, इसलिए मैं पूरी तरह से सुरक्षित हूं। लेकिन सच यह है कि धोखा देने वाले पर कोई विश्वास नहीं करता, न वह जो उसे प्यार करता है और न वह जिसे वह प्यार करता है। दूसरे शब्दों में ऐसे व्यक्ति पर न तो वह व्यक्ति विश्वास करेगा, जिससे उसके एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर चल रहे हैं और इस धोखे के बारे में जब असल जीवनसाथी को पता चलेगा तो वह भी उन पर विश्वास करना बंद कर देंगे। शायद उससे अलग भी हो जाएं। ऐसी स्थिति में धारणा ये रहती है कि - उसने मेरे लिए अपने पार्टनर को धोखा दिया है। अब वह किसी और के लिए मुझे भी धोखा देगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर से ग्रस्त विवाह पर हमेशा असुरक्षा की गहरी छाया रहती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, असुरक्षा इसलिए रहती है कि क्योंकि व्यक्ति यह सोचता है कि अगर उसने आपके लिए अपने साथी या बच्चों को छोड़ दिया है तो आपको धोखा देने के लिए उसे कौन-सी चीज रोक सकती है? मन की यह कशमकश कभी समाप्त नहीं होती और अक्सर यह तनाव बर्दाश्त से बाहर हो जाता है। नम्रता और आनंद भसीन एक ही कंपनी में काम करते थे और दोनों में प्यार हो गया। दोनों ही विवाहित थे, लेकिन फिर भी एक-दूसरे के साथ रहने लगे। फिर जल्दी ही दोनों में असुरक्षा की भावना विकसित होने लगी।

आनंद बताते हैं कि - नम्रता पागल होती जा रही है। वह हर 10 मिनट में यह जानना चाहती है कि मैं कहां हूं और क्या कर रहा हूं? वह मुझे बताती रहती है कि अगर मैं एक बार धोखा दे चुका हूं तो दोबारा भी धोखा दे सकता हूं। वह इस तथ्य को भूल जाती है कि वह भी उसी कश्ती में सवार है। लेकिन मैं यह कह कर उसका अपमान नहीं करना चाहता हूं, इसलिए खामोश रह जाता हूं। मुझे मालूम नहीं कि इस सब को कब तक बर्दाश्त कर सकूंगा।

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पहली नजर में तो एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर बहुत रोमांटिक प्रतीत होते हैं। विवाहित पुरुष या स्त्री की किसी दूसरे से भेंट होती है, प्यार हो जाता है, गुपचुप अफेयर चलता है, इस निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है कि यही व्यक्ति सच्चा प्यार है, फिर उसी के साथ रहने का फैसला हो जाता है, लेकिन क्या चाहत (शारीरिक) ही दो व्यक्तियों को एकसाथ रखने के लिए पर्याप्त है?

विवाह हर स्थिति में एक कठिन संबंध है और जब विवाह उन दो व्यक्तियों के बीच होता है जो पहले से ही विवाहित होने के बाद भी एक-दूसरे के प्रेम में गिरफ्तार हुए हैं तो दृश्य और भी अधिक जटिल हो जाता है। विवाह से बाहर प्रेम में पड़ने के कई कारण हैं। कुछ लोग भावनात्मक या शारीरिक उत्पीड़न बर्दाश्त कर रहे होते हैं और इसलिए कहीं बाहर प्रेम की तलाश करते हैं।

कुछ लोगों के लिए संबंध की अवधि ही समाप्त हो जाती है और इसलिए वे दूसरे से रोमांस करने के लिए तैयार होते हैं। कुछ लोग अपने मूल पार्टनर्स से प्रेम करना ही बंद कर चुके होते हैं। कारण कुछ भी हो, लेकिन इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि पूर्व विवाह का बोझ या हैंगओवर हमेशा नए संबंध में बना रहता है।

ऐसे मामलों में ये माना जाता है कि जब ऐसे लोग शादी कर लेते हैं तो फिर सब कुछ ठीक हो जाता है, लेकिन वास्तव में ऐसा हो नहीं पाता है। ऐसे मसलों में आमतौर पर आसपास के लोग ही रिश्ता स्वीकार नहीं करते हैं। क्योंकि जिस तरह वे अपनों का दिल तोड़कर एक-दूसरे के साथ आए हैं, वो स्वीकार नहीं किया जाता है।

हकीकत ये है कि आखिर तो हर शादी एक वक्त के बाद रूटीन हो जाती है, तो यह भी होगी ही। रेहान और शर्मिला ने पांच साल की कोशिशों और विरोध के बाद आखिरकार शादी कर ली। शर्मिला पहले से ही शादीशुदा थीं। पति से तलाक लेना मुश्किल हो रहा था, उधर रेहान के परिवार के लोग उसके एक शादीशुदा स्त्री से शादी के खिलाफ थे। फिर भी दोनों ने शादी कर ली, दो साल तक तो दोनों बहुत खुश रहे, लेकिन फिर वही रूटीन हो गया।

रेहान बार-बार शर्मिला को दफ्तर से फोन नहीं करता कि उसे शर्मिला की बहुत याद आ रही है और शर्मिला ने भी रेहान के नखरे उठाना छोड़ दिया। कभी जो चीज एक-दूसरे में पसंद आती थी, बाद में वही चीजें, असहनीय हो गईं। बहुत लड़ाई-झगड़े के बाद स्थिति ऐसी आ गई कि अब दोनों एक-दूसरे की शकल भी नहीं देखना चाहते हैं।

इसका एक मनोवैज्ञानिक पक्ष यह भी है कि दोनों में से कोई भी अपने साथी से धोखा करने के अपराध बोध से बाहर नहीं आ पाता है और यह भी नई शादी पर बोझ हो जाता है।