रुपए में तेजी से प्रभावित नहीं होगा निर्यात
विदेशी संस्थागत निवेशकों के धन प्रवाह रोकने की जरूरत संबंधी निर्यातकों की माँग को खारिज करते हुए सरकार ने कहा है कि रुपया उतना मजबूत नहीं हुआ है, जिससे भारतीय निर्यात प्रभावित होगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पूँजी प्रवाह को डॉलर के मुकाबले रुपए की मजबूती का कारण माना जा रहा है।वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने यहाँ कहा रुपए में तेज मजबूती का हम पर असर होगा। लेकिन मुझे नहीं लगता कि रुपए में उतनी मजबूती आई है, जिससे समस्या पैदा हो।भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि दर 8 फीसद रहने की उम्मीद के बीच एफआईआई बड़ी मात्रा में देश की अर्थव्यवस्था में पूँजी निवेश कर रहे हैं। एफआईआई जनवरी से अब तक 5.30 अरब डॉलर का निवेश कर चुके हैं, जिसका भारतीय करेंसी पर असर पड़ा है।रुपए में मजबूती से निर्यातक चिंतित हैं, क्योंकि डॉलर के कमजोर होने से स्थानीय मुद्रा में उनके लाभ पर असर पड़ेगा।भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष ए. शक्तिवेल ने कुछ समय के लिए डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर स्थिर बनाए रखने का सुझाव दिया है।हालाँकि वाणिज्य सचिव इस बात से सहमत नहीं हैं कि समस्या इतनी गंभीर है। उन्होंने कहा 2007-08 में डॉलर के मुकाबले रुपया 40 के स्तर पर पहुँच गया था। अभी ऐसी स्थिति नहीं है। वे निर्यातकों के इस विचार से भी सहमत नहीं हुए कि एफआईआई अंतर्प्रवाह ‘दुश्मन’ का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार लगभग 18,000 के स्तर पर पहुँच गया, जो एक अच्छा संकेत है।उल्लेखनीय है कि अंतरबैंक विदेशी विनिमय बाजार में रुपया 10 पैसे मजबूत होकर 44.35 के स्तर पर पहुँच गया है। (भाषा)