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इन संगठनों ने वोडाफोन के साथ विवाद के मद्देनजर भारतीय आयकर कानून में पीछे की तिथि से प्रभावी संशोधन के प्रस्ताव की आलोचना की है। इन संगठनों ने आगह किया है कि इस प्रस्ताव के मद्देनजर बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां ने भारत में कारोबार की लागत और निवेश को लेकर फिर से विचार शुरू कर दिया है।
ब्रिटेन की कनफेडरेरशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री, अमेरिका की यूएस काउंसिल फार इंटरनेशनल बिजनेस और जापान फॉरेन ट्रेड काउंसिल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि यदि कर कानून में बदलाव होते हैं, तो वे आगे की तारीख से लागू होने चाहिए न कि पिछली तारीख से। कानून में बदलाव भले हो पर पूर्व के अदालती फैसले कायम रहने चाहिए।
इन एसोसिएशनों का दावा है कि दुनिया की ढाई लाख कंपनियों उनसे संबद्ध हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले सप्ताह संसद में वोडाफोन जैसे विलय एवं अधिग्रहण सौदों को आयकर के दायरे में लाने के लिए आयकर कानून में पिछली तिथि से संशोधन को उचित ठहराते हुए कहा है, ‘भारत कर-शून्य व्यवस्था वाला देश नहीं है। भारत में करों की एक निश्चित दर है, लेकिन यह करापवंचकों की पनाहगाह नहीं है।’ (भाषा)