अब भारतीयों के दिल में बसता है अफ्रीका
लगभग 22 साल तक अंतरराष्ट्रीय खेल बिरादरी के लिए अछूत रहा दक्षिण अफ्रीका खेलों का गढ़ बनने के साथ ही उस भारत के दिल में बस गया है, जिसने रंगभेद के कारण इस अफ्रीकी देश से सबसे पहले राजनयिक संबंध तोड़े थे। इंडियन प्रीमियर लीग इसकी एक नई बानगी पेश करता है। दक्षिण अफ्रीका में अब सैकड़ों भारतीय खिलाड़ियों का जमावड़ा देखकर इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है कि कभी यही देश भारतीयों के लिए अछूत था और भारत के उनसे क्रिकेट संबंध के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। यही वजह है कि अपने जमाने के दो दिग्गज सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर और बैरी रिचर्ड्स कभी आमने-सामने नहीं हुए तथा ग्रीम पोलाक और अली बाकर जैसे क्रिकेटर भारतीयों के लिए अनजान ही रहे। लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है और दक्षिण अफ्रीका खेलों का गढ़ बनता जा रहा है। 1991 में फिर से अंतरराष्ट्रीय खेल बिरादरी से जुड़ने के बाद दक्षिण अफ्रीका लगभग 150 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन कर चुका है। इनमें 1995 में रग्बी विश्व कप, 1996 में अफ्रीकन कप फुटबॉल, 2003 में क्रिकेट विश्व कप और 2007 में क्रिकेट विश्व ट्वेंटी-20 विश्व कप महत्वपूर्ण हैं। आईपीएल के आयोजकों को जब आनन-फानन में टूर्नामेंट भारत की जगह विदेश ले जाना पड़ा तो उन्हें दक्षिण अफ्रीका की ही याद आई लेकिन यह देश इस समय अपने यहाँ अब तक की सबसे बड़ी प्रतियोगिता फीफा विश्व कप की मेजबानी की तैयारी में जुटा है, जो अगले साल होगा। दक्षिण अफ्रीका में खेलों के क्षेत्र में यह बदलाव लाने में भारत की भी अहम भूमिका रही। दक्षिण अफ्रीका में 1948 में जब गोरों के बहुमत वाली नेशनल पार्टी सत्ता में आई थी तो भारत ने उससे राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे। इसके 43 साल बाद 1991 में जब दक्षिण अफ्रीका में बदलाव आया तो फिर वह भारत था जिसने उसकी क्रिकेट टीम को सबसे पहले अपने यहाँ आने का न्योता दिया था। दक्षिण अफ्रीकी टीम का नवंबर 1991 में भारतीय दौरा अचानक ही हुआ था। तब पाकिस्तानी टीम को भारत आना था लेकिन उसने दौरा रद्द कर दिया। ऐसे में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के तत्कालीन पदाधिकारी जगमोहन डालमिया ने दक्षिण अफ्रीका को एकदिवसीय श्रृंखला खेलने के लिए आमंत्रित किया। पूर्व दक्षिण अफ्रीकी कप्तान और तब क्रिकेट बोर्ड के महत्वपूर्ण पदाधिकारी अली बाकर चाहते थे कि उनकी टीम भारत दौरा करे लेकिन पर्सी सोन (जो बाद में आइसीसी अध्यक्ष बने) इसे बहुत जल्दबाजी कहकर टालना चाहते थे। ऐसे में लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका के पहले खेलमंत्री स्टीव शावटे के हस्तक्षेप के कारण दक्षिण अफ्रीकी टीम भारत आई और उसने दस नवंबर 1991 को अपना पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। दक्षिण अफ्रीका ने प्रतिबंध लगने से पहले मार्च 1970 में पोर्ट एलिजाबेथ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम टेस्ट मैच खेला था। इसके बाद उसने अप्रैल 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिजटाउन में एकमात्र टेस्ट मैच से टेस्ट क्रिकेट में वापसी की। हालाँकि दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने वाली पहली टीम भारत की थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने 1992 में दक्षिण अफ्रीका में चार टेस्ट मैच खेले थे।